संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकवादी हाफिज सईद ने शुक्रवार को लाहौर उच्च न्यायलय में अपने खिलाफ आतंकी वित्तपोषण के मामले को चुनौती दी है। याचिका में जमात उद दावा के प्रमुख ने कहा कि “उसका प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा, अलकायदा या किसी अन्य संगठन के साथ कोई ताल्लुक नहीं है।”
हाफिज सईद ने दायर की याचिका
इस याचिका में अदालत ने दलील दी कि उसके खिलाफ याचिका निरर्थक और अशक्त है। बीते हफ्ते पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में आतंक रोधी विभाग ने सईद और उसके 12 अन्य सहयोगियों के खिलाफ कई मामलो को दर्ज किया था। इसमें उसका बहनोई अब्दुल रहमान मक्की भी शामिल है।
आरोप के तहत उसका संगठन संस्थाओं के तहत संचालन कर रहा है और वह आतंकी संदिग्धों को वित्त मुहैया करने के लिए शामिल है। लाहौर, गुज्रेवाला और मुल्तान में पांच आतंकी संगठनो दवातुल इरशाद ट्रस्ट, मोअज़ बिन जबल ट्रस्ट, अन अन्फाल ट्रस्ट, अल मदीना फाउंडेशन ट्रस्ट और अल्हम्द ट्रस्ट पर मामलो को दर्ज किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वांशिगटन के बीच महत्वपूर्ण वित्तीय बेलआउट पैकेज के लिए समझौता हुआ था। इसके तहत पाकिस्तान को वैश्विक संस्था छह अरब डॉलर का पैकेज देगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 4 जुलाई को बयान दिया कि “आतंकवादियों और आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई पर पाकिस्तान की गंभीरता, उनकी निरीक्षित, विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय कार्रवाई के प्रदर्शन की काबिलियत के आधार तय किया जायेगा। न कि आधे दिल से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाने के लिए आतंकी समूहों पर कार्रवाई करे।”
नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के समक्ष मौजूदा समय में मुद्रा संरक्षण 8 अरब डॉलर से भी कम है और यह सिर्फ 1.7 महीने के आयात को ही झेल सकता है। पाकिस्तान ने अगस्त 2018 में वांशिगटन में स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ रुख किया था।