Sat. Nov 23rd, 2024
    SUPREME COURT

    नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के हापुड़ में पीट-पीटकर मार डालने (लिचिग) की घटना के शिकार व्यक्ति के भाईयों को निचली अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज करवाने के आदेश दिए हैं।

    न्यायालय ने इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस को मामले में अन्य किसी भी तरह की जांच के आदेश नहीं दिए हैं।

    घटना में बचे (सर्वाइवर) समयुद्दीन ने मामले में उत्तरप्रदेश पुलिस को पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का आदेश देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।

    उसने अदालत के समक्ष कहा कि जांच संतोषजनक नहीं है और यह गलत दिशा में जाता प्रतीत हो रहा है।

    समीयुद्दीन ने पीड़ित के दो भाईयों सलीम और नदीम के बयान के आधार पर आगे की जांच की मांग की थी। दोनों के बयान हापुर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के अंतर्गत दर्ज किए गए थे।

    अदालत ने पूरक पत्र दाखिल करने के संबंध में निचली अदालत को किसी भी प्रकार का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया लेकिन सर्वाइवर(समीयुद्दीन) को निचली अदालत जाने की इजाजत दी जो कानून के हिसाब से अपना निर्णय लेगी।

    गत वर्ष जून में , एक पशु व्यापारी 38 वर्षीय कासिम को पीट-पीट कर मार डाला गया था और 65 वर्षीय समयुद्दीन पर गोकशी के शक में भीड़ ने हमला कर दिया था और वह बुरी तरह घायल हो गया था।

    बीते वर्ष सितंबर में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि जांच की निगरानी मेरठ के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा की जानी चाहिए।

    2 मई को, उत्तरप्रदेश पुलिस ने समीयुद्दीन की याचिका के आधार पर मामले में जांच के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थी। समीयुद्दीन ने निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच टीम(एसआईटी) गठित करने की मांग की थी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *