केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार सबरीमाला परिसर और इसे आसपास के क्षेत्रों से धारा 144 हटाएगी। हाई कोर्ट से सरकार से मंदिर परिसर में धारा 144 लगाने का कारण पूछा था।
कोर्ट ने तीन अलग-अलग याचिकाओं को सुना, जिसमे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रतिबंधों और धारा 144 के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। पठानमथिट्टा जिला प्रशासन ने उन दस्तावेजों को कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जिसमे इस तरह की कार्रवाई करने के पीछे आवश्यक कारण बताये गए थे।
28 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने वाले आदेश के बाद हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन के कारण केरल सरकार ने सन्निधानम, नीलक्कल, पम्बा में धारा 144 लगा दिया था। निजी वाहनों पर रोक लगा दी गई थी और रात 9 बजे के बाद मंदिर की ओर चढ़ाई पर भी रोक लगा दिया गया था। रात 8:30 बजे के बाद केरल राज्य ट्रांसपोर्ट की सर्विस बंद कर दी गई थी।
कोर्ट के आदेश के बाद सरकार इन सभी प्रतिबंधों को हटा लेगी।
हाई कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि श्रद्धालुओं को सरकार दक्षिणपंथी समर्थक कैसे कह सकती है? कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि सभी प्रतिबंधों को हटाए और श्रद्धालुओं को समूह में मंदिर जाने की आज्ञा दे।
कोर्ट ने ये भी कहा कि श्रद्धालुओं द्वारा वाला मन्त्र/गीत ‘स्वामिये शरणम अयप्पा’ में कुछ भी गलत नहीं है और इससे क़ानून और व्यवस्था को कोई ख़तरा पैदा नहीं होता।
एर्नाकुलम के आईजी विजय साखरे कोर्ट के सामने प्रस्तुत हुए तो कोर्ट ने पूछा कि क्या आईजी और एसपी यतीश चंद्र मलयालम नहीं समझते या ये सोचते हैं कि अयप्पा मन्त्र पढ़ने से कानून व्यवस्था ख़तरा पैदा हो सकता है ?
सोमवार को 69 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जो प्रतिबन्ध के बावजूद रात में क्षेत्र में रुकने पर अड़े हुए थे।