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    honkong protest

    हांगकांग में प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ कारोबारियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था। एक दिन पूर्व ही कारोबारी समुदाय ने संसद में फर्नीचर के साथ तोड़फोड़ की और दीवारों पर कचरा फेंका था। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों को तीतर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे। यह शहर विश्व की कई बड़ी कंपनियों का गढ़ है।

    चीन का कारोबार पर शिकंजा

    विवादस्पद प्रत्यर्पण बिल पर अशांति बढ़ती जा रही है जिसके तहत सुनवाई के लिए हांगकांग से अपराधियों को चीन भेजा जा सकता था। हांगकांग में प्रदर्शन वैश्विक सुर्ख़ियों में बना रहा था। फिनटेक में कार्यरत 35 वर्षित युमी युंग ने कहा कि “मेरे ख्याल से इससे हांगकांग की साख को क्षति पहुंची है। कुछ कंपनियां शायद हांगकांग छोड़ना चाहती है या अपने मुख्यालयों को यहां नहीं रखना चाहती है।”

    करीब 1500 बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने हांगकांग को एशिया का मुख्यालय बनाया है और इसका कारण यहां की स्थिरता और कानून थे। लेकिन दशकों के सबसे बड़े और हिंसक प्रदर्शन ने इस अनुभूति को परिवर्तित कर दिया है। हांगकांग में चीनी नियम साल 1997 में एक राष्ट्र, दो प्रणाली के तहत लागू हुए थे। इसके तहत हांगकांग में स्वतंत्रता दी गयी है जो चीन में नहीं है। इसमें प्रदर्शन की  आज़ादी और स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल है।

    बीजिंग ने दखलंदाज़ी से इंकार किया है लेकिन हालिया बिल चीनी नियंत्रण की पुष्टि करता है। कई लोगो को भय है कि अदालतों को भी कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण में रखा जायेगा जहां मानवीय अधिकारों की कोई गारंटी नहीं होगी।

    हांगकांग में 30 वर्षों से कार्यरत ब्रितानी वकील स्टीव ने कहा कि “अगर यह बिल पूरी तरह से रद्द नहीं किया गया तो मेरे पास अपने घर लौटने के आलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।” 27 वर्षीय निवेश बैंकर डेनियल यिम ने कहा कि “दोनों पक्षों को बैठकर मसलों को सुलझाना चाहिए।”

    कई लोग भविष्य में मानव अधिकारों और न्यायपालिका पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। 10 वर्षों से हांगकांग में कार्यरत ऑस्ट्रेलिया के नागरिक एडवर्ड ने कहा कि “मेरे लिए सबसे चिंता का विषय है कि हांगकांग  धीरे धीरे अपनी आज़ादी को खो रहा है और मानवधिकार के महत्व को समझने वाले व स्वतंत्र न्यायपालिका के न होने वाले देश के करीब रहना खतरनाक है।”

    इस मामले के जानकार ने बताया कि प्रत्यर्पण बिल को सिर्फ स्थगित किया गया है रद्द नहीं किया गया है। 16 वर्षों से हांगकांग में कारोबार कर रही महिला ने बताया कि उन्होंने देखा है कि बीजिंग अपने शिकंजे को मज़बूत कर रहा है। चीन हांगकांग से आज़ादी को दूर ले जायेगा। मैं हांगकांग की जनता के लिए खेदजनक हूँ, जहां अधिक आजादी, बेहतर अर्थव्यवस्था, बेहतर जिंदगी है और अब यह उलटी दिशा में भाग रहा है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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