Tue. Nov 5th, 2024
    हसन रूहानी

    ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की शनिवार से भारत यात्रा शुरू हो चुकी है। रूहानी का स्वागत नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में किया।

    इजरायली पीएम के एक महीने के बाद ही ईरान के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए है। रूहानी ने सबसे पहले हैदराबाद में पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ एकता के बारे में बात की और विभिन्न धर्मों के लोगों के “शांतिपूर्ण सहअस्तित्व” के लिए भारत की प्रशंसा की।

    ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की यात्रा के 10 प्रमुख बिन्दु-

    रूहानी के नई दिल्ली पहुंचने पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व विदेश मंत्री सहित अन्य गणमान्य लोगों ने उनका स्वागत किया। आज हसन रूहानी होटल लीला पैलेस में एक व्यावसायिक आयोजन में भाग लेंगे।

    दोपहर में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली में हैदराबाद हाउस में मिलेंगे। इस दौरान दो घंटे की बैठक के बाद दोनों नेता संयुक्त प्रेस वार्ता करेंगे।

    शाम को 4 बजे ईरानी राष्ट्रपति दिल्ली में ताज होटल में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन व्याख्यान में भाग लेंगे। इसके बाद वे होटल आईटीसी मौर्य के एक कार्यक्रम में पारसी समुदाय के सदस्यों व वैंकेया नायडू से मुलाकात करेंगे। रात 7.30 बजे राष्ट्रपति भवन में रूहानी अपने भारतीय समकक्ष से मुलाकात करेंगे।

    रूहानी यात्रा का उद्देश्य- तेल और गैस

    भारत व ईरान के बीच में तेल और गैस से संबंधित व्यापारिक रिश्ते है। भारत ईरान से तेल और गैस का आयात करता है। इससे संबंधित वार्ता दोनों देश कर सकते है साथ ही कई अन्य समझौते भी कर सकते है।

    भू-राजनीतिक निर्णय

    भू-राजनीतिक रूप से भारत व ईरान के बीच में संबंध मजबूत हुए है। भारत चाबहार बंदरगाह में निवेश करके ईरान के साथ व्यापारिक संबधों को मजबूत कर रहा है। अमेरिका भी भारत व ईरान संबंधों से किसी तरह की शंका की भावना नहीं रख रहा है।

    चाबहार बंदरगाह का संचालन

    ईरान व अमेरिका के बीच रिश्तों में खटास देखी जाती है। वहीं अमेरिका का प्रमुख दोस्त भारत ईरान के साथ संबंध बढ़ा रहा है। भारत चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के साथ व्यापार कर रहा है। इससे अब पाकिस्तान के कराची बंदरगाह की आवश्यकता अफगान व भारत को नहीं पडेगी।

    पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से महज 90 किलोमीटर दूरी पर ही चाबहार बंदरगाह है जिसमें भारत बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है। भारत व ईरान के बीच में चाबहार मुद्दे को लेकर चर्चा होगी।

    वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए तैयार है ईरान

    ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी का कहना है कि तेहरान वीजा प्रक्रिया को सरल व आसान बनाने के लिए तैयार है। भारतीय लोगों के लिए ईरान का वीजा प्राप्त करना अब काफी आसान हो जाएगा। जिससे दोनो देशों के नागरिक आ व जा सकते है।

    बेंजामिन नेतन्याहू के महीने भर बाद ही रूहानी भारत यात्रा पर

    हसन रूहानी से एक महीने पहले ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरे पर आए थे। अब ईरानी राष्ट्रपति भारत दौरे पर है। भारत द्वारा पश्चिम एशियाई क्षेत्र में रिश्ते को संतुलित करने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध है। दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय संबंधो को लेकर चर्चा की जाएगी।

    नरेन्द्र मोदी व हसन रूहानी निवेश तंत्र पर चर्चा कर सकते है

    ईरान व भारत के बीच मे रूपये से संबंधित वित्तीय लेनदेन के लिए दोनों देशो के मध्य चर्चा की जाएगी। ईरान के साथ वित्तीय लेनदेन के खिलाफ कड़े व्यापार प्रतिबंधों को दूर करने के लिए नई दिल्ली ने रुपये के निवेश की अनुमति देने का फैसला किया है। वर्तमान में भारतीय रूपये को भूटाननेपाल में ही निवेश किया जा सकता है। इस संबंध में आज घोषणा की जा सकती है।

    हैदराबाद में हसन रूहानी

    शुक्रवार को हैदराबाद में एक सुन्नी ऐतिहासिक मक्का मस्जिद का दौरा किया। शहर मौलवियों के साथ दुनिया भर में मुसलमानों के बीच एकता का संदेश भी ईरानी राष्ट्रपति ने दिया।

    फारसी में दिए अपने 30 मिनट के सार्वजनिक भाषण में रूहानी ने मुसलमानों को सभी मनुष्यों के प्रेम और स्नेह के साथ व्यवहार करने का संदेश दिया।

    हसन रूहानी की साल 1994 में भारत यात्रा

    अगस्त 1994 मे हसन रूहानी ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के तत्कालीन सचिव के रूप में भारत दौरे पर आए थे। जिसमें हसन ने बाबरी मस्जिद विध्वंस पर चर्चा की थी और हुर्रियत सम्मेलन को कश्मीरी के “सच्चे प्रतिनिधियों” के रूप में मान्यता दी थी।

    भारत , ईरान व अफगानिस्तान के नेताओं की उपस्थिति में चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस दौरान पीएम मोदी, हसन रूहानी और अशरफ गनी मौजूद थे। यह समझौता दक्षिण पूर्वी ईरान में चाबहार बंदरगाह के लिए भारत द्वारा 85 करोड़ डॉलर के पूंजी निवेश पर आधारित है।