भारत के यात्री विमानों के लिए पाकिस्तान अपने हवाई मार्ग खोलने की समीक्षा 15 मई को करेगा। एक आला मंत्री ने कहा कि “भारत में चुनावो का दौर खत्म न हो जाने तक यथास्थिति बरकरार रहेगी।” 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना ने बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हमला किया था इसके बाद पाकिस्तान ने अपने हवाई मार्ग को बंद कर दिया था।
पाकिस्तान ने 27 मार्च को नई दिल्ली, बैंकॉक और कुआला लुम्पुर को छोड़कर बाकी सभी के लिए हवाई मार्ग खोल दिया था। पाकिस्तानी नागरिक उड्डयन विभाग के प्रवक्ता मुज्तबा बैग ने पीटीआई से कहा कि “पाकिस्तान की सरकार 15 मई को इस पर निर्णय लेंगी कि भारत के विमानों के लिए हवाई मार्ग खोला जाए या नहीं।”
आला अधिकारीयों की बैठक में होगा निर्णय
उन्होंने कहा कि “15 मई को आयोजित बैठक में अधिकारी और सभी मंत्रालय के मंत्री शामिल होने और इसके बाद भारत के लिए पाकिस्तानी हवाई मार्ग खोलने के बाबत निर्णय लिया जायेगा। इस निर्णय को 15 मई को कभी भी जारी किया जा सकता है।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी और फ़ेडरल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मंत्री फवाद चौधरी भारत में लोकसभा चुनावो के अंत तक यथास्थिति में परिवर्तन की गुंजाईश नहीं समझते हैं। फवाद चौधरी ने कहा कि “भारत में चुनावो का समापन न हो होने तक यथास्थिति बरक़रार रहेगी। मुझे चुनावो के समापन और नयी सरकार के गठन तक भारत और पाकिस्तान के सम्बन्धो में कोई सुधार होता नहीं दिखता है।”
दो परमाणु संपन्न देशो ने 26 फरवरी के वाकये के बाद एक-दूसरे के लिए हवाई मार्गो को बंद कर दिया था। भारत द्वारा प्रतिबन्ध के कारण पाकिस्तानी इंटरनेशनल एयरलाइन्स, अन्य निजी एयरलाइन्स और सीआईए को भारी वित्तीय घाटा हो रहा है।
भारत वित्तीय घाटा
बैग ने कहा कि “यह एक द्विपक्षीय मामला है और दोनों सरकारी को इसका समाधान करना चाहिए। भारत द्वारा हमारे हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंधों के कारण हम बैंकॉक और कुआला लुम्पुर तक संचालन नहीं कर पा रहे हैं जिसके कारण प्रतिदिन लाखो रूपए का नुकसान हो रहा है। पीआईए के चार विमान कुआला लुम्पुर, दो बैंकॉक और दो नई दिल्ली के लिए उड़ान भरती है।”
पीआईए के आला अधिकारी ने बताया कि “हमारे विमानों के संचालन पर पाबन्दी के कारण उड्डयन मंत्रालय को अरबो रूपए का नुक्सान हुआ है। हम न सिर्फ भारी वित्तीय घाटे ही झेल रहे हैं बल्कि हमारे यात्री भी दूसरी एयरलाइन्स में ट्रेवल कर रहे हैं। इस मामले को अब सुलझाना चाहिए। इसमें हवाई मार्ग का क्या कसूर है।”
दोनों देशों की एयरलाइन्स और उड्डयन विभागों को भारी नुकसान हुआ है। यूरोप से पूर्व की तरफ के विमान यात्रा न सिर्फ वित्तीय घाटे से परेशान है बल्कि अब फ्लाइट का समय भी बढ़ गया है जिसके कारण एयरलाइन्स को टिकट के दामों में भी इजाफा करना पड़ा है।