भारत के पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र सिंह के फुटबॉल में कोचिंग कोर्स को आगे बढ़ाने के फैसले से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह हॉकी के कोच पद से हटने के बाद यह कर रहे है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में उन्होने विस्तार में बताते हुए कहा कि हॉकी मेरा पहला प्यार है और मैं इसे छोड़ने के बारे में कभी सोच भी नही सकता।
पिछले साल हुए हॉकी विश्वकप के बाद से हॉकी इंडिया ने हरेंद्र सिंह को भारतीय टीम के कोच पद से बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद उनसे यह भी पूछा गया था कि वह क्या वह एक बार फिर भारतीय जूनियर टीम का कोच बनने के लिए तैयार है। 2016 के जूनियर विश्व कप विजेता कोच ने तब स्विच के लिए कुछ आधार निर्धारित किए, जो कथित तौर पर यह शर्त नहीं थी कि स्थापना मनोरंजन के लिए खुली थी और उसे हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा उसकी सेवाओं से राहत दी गई थी।
इस हफ्ते की शुरुआत में, हरेंद्र ने खुलासा किया कि वह फुटबॉल कोचिंग में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के ‘डी’ लाइसेंस को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन उसने अब स्पष्ट किया है कि इसे हॉकी से फुटबॉल में स्विच करने की गलती नहीं होनी चाहिए।
हरेंद्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “यह सिर्फ अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए है।”
पिछले 6 सालो में हॉकी इंडिया ने छह कोच बदले है, जिसमें हरेंद्र छठे कोच थे। लेकिन 1990 के सिल्वर मेडलिस्ट का कहना है अंतरराष्ट्रीय हॉकी परिषद ने उन्हे एक नए रोल के लिए संपर्क किया है।
उन्होने खुलासा किया, “एक देश ने मुझे अपना सीवी हेड कोच (हॉकी) के लिए भेजने को कहा है, जबकि यूरोप में कोच के एक एजेंट ने भी मुझसे संपर्क किया है। मैंने अभी तक इस पर कोई निर्णय नही लिया है क्योंकि इसके लिए परिवार, मेरे बेटे के शैक्षणिक भविष्य, आदि के साथ चर्चा की आवश्यकता होगी।”