किसान आंदोलन में शामिल सबसे ज्यादा किसान हरियाणा और पंजाब से हैं। ये मुद्दा इस वक्त सबसे ज्यादा गर्माया हुआ है और इसने राजनीति की जड़ें हिला दी हैं। बीजेपी का इन किसानों के प्रति शंकापूर्ण रवैया रहा है। साथ ही इस आंदोलन में किसानों की अनदेखी का खामियाजा धीरे धीरे बीजेपी भुगत रही है। इसके परिणाम बीजेपी को दिखने भी शुरू हो चुके हैं।
हरियाणा में हाल ही में हुए नगर निगम के चुनाव के परिणाम घोषित हुए हैं। हरियाणा में मौजूदा वक्त में बीजेपी व जेजेपी की गठबंधन सरकार है। ये चुनाव अंबाला, पंचकुला व सोनीपत में हुए। लेकिन बीजेपी सिर्फ पंचकूला में ही कामयाबी हासिल कर पायी। सोनीपत व हरियाणा में जन चेतना पार्टी व कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। इससे पहले के नगर निगम के चुनावों में बीजेपी पांच सीटें जीती थी, लेकिन इस बार बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।
कुछ समय पहले बड़ौदा में विधानसभा उपचुनाव हुए थे और तब भी कांग्रेस ने बाजी मार ली थी। यहां बीजेपी हारी लेकिन उसका कोई खास प्रभाव पार्टी की साख को नहीं हुआ। लेकिन इस बार इस हार को बीजेपी के लिये घातक बताया जा रहा है। हरियाणा -पंजाब सबसे ज्यादा किसानों वाले प्रदेश हैं। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर सबसे ज्यादा निर्भर है। किसानों के आंदोलन का यहां की राजनीति में असर दिखना लाजमी था। लेकिन बीजेपी का देश की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी यहां एक की ही सीट जीत पाना बीजेपी के भविष्य के लिये अच्छा संकेत नहीं है।
यहां अंबाला से पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा 8084 वोटों से जीती हैं। पंचकूला से बीजेपी के कुलभूषण गोयल व सोनीपत से कांग्रेस के निखिल मदान विजयी हुए हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा का कहना है कि निगम चुनावों में प्रदेश की जनता ने गठबंधन सरकार को अपना फैसला सुना दिया है।