समर्पित कार्यकर्ताओं की मेहनत और जातीय समीकरण को ध्यान में रख कर टिकट वितरण, ये दो ऐसे कारण रहे जिसकी वजह से भाजपा ने हरियाणा निकाय चुनाव में क्लीन स्विप कर लिया। भाजपा ने इतनी बड़ी जीत की उम्मीद तो खुद भी नहीं की थी।
चुनावों के चलते, बीजेपी नेता अपनी जीत की संभावनाओं के प्रति अनिश्चित थे और अपेक्षित परिणाम के बारे में दावा करने से बच रहे थे। हालिया विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान गंवाने के बाद तो भाजपा नेता कोई भी दावा करने से बाख रहे थे, लेकिन जब नतीजे आये तो क्या नेता और क्या कार्यकर्ता सबके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
जीतने के बाद पार्टी के लोग कह रहे हैं कि सही टिकट बंटवारे ने उन्हें चुनाव में फायदा पहुँचाया। स्थानीय विधायक की जाति से अलग हट कर दूसरी जातियों को टिकट देने से कई जातियों को साधने में मदद मिली।
इन चुनावों में कांग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव में भाग नहीं लिया था बल्कि निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन किया था। इसके अलावा इन्डियन नेशनल लोक दल में आपसी खींचतान का फायदा भी भाजपा को मिला। पंजाबी समुदाय ने भी खट्टर का जमकर साथ दिया और इस तरह से भाजपा की राह आसान हो गई।
पांच नगर निगमों में हमारी जीत प्रदेश की जनता द्वारा सरकार की नीतियों पर लगाई गई मुहर है।https://t.co/CzLR3RHVLC pic.twitter.com/DAybzUBPuN
— Manohar Lal (@mlkhattar) December 20, 2018
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सभी महत्वपूर्ण शहरों में चुनाव प्रचार किया था जबकि विपक्षी सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस में व्यस्त रहे। 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव गंवाने के बाद भाजपा ने इन चुनावों को काफी गंभीरता से लिया था और कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर चुनाव में झोंक दिया था जिसका उन्हें फायदा मिला।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडा के क्षेत्र रोहतक में भी भाजपा ने अच्छी सफलता पाई। कांग्रेस का अपने चिन्ह पर चुनाव ना लड़ना भी भाजपा के पक्ष में गया।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस जीत को मोदी लहर बताया और विरोधियों के उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमे कहा गया था कि मोदी मैजिक अब ख़त्म हो चूका है।