स्वेडन में आयोजित यमन शांति वार्ता में जंग के अंत करने का यह एक बेहतरीन अवसर है। जानकारों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस विनाशक जंग के खात्मे के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के राजदूत मार्टिन ग्रिफ्फिथ्स विद्रोहियों द्वारा कब्ज़ा की गयी राजधानी सन्ना मे हूथी विर्द्रोहियों के साथ बातचीत करेंगे। इस शांति वार्ता को सऊदी अरब की सरकार का समर्थन प्राप्त है।
ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों और यमन सरकार के समर्थक बालो के मध्य पिछले चार साल से जारी इस भयानक जंग ने देश को पतन के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यमन में 14 मिलियन लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं। यमन में कुपोषित बच्चों की ख़बरों ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था।
वरिष्ठ जानकार एलिज़ाबेथ डिस्कशन ने कहा कि अब हमारे पास अवसरों का द्वार है, यह पिछले कुछ माह की सबसे बड़ी कामयाबी है क्योंकि आखिरकार शांति वार्ता की शुरुआत हो गयी है। यमन सरकार को समर्थन करने वाले सऊदी अरब ने शांति वार्ता के लिए हामी भर दी थी। पत्रकार जमाल खासोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब पर वैश्विक दबाव बढ़ा है।
यूएन के सचिव ने कहा था कि अगर इस युद्ध का अंत हो जाता है, तो आज विश्व सबसे बड़े मानवीय संकट से उबह्र जायेगा। सितम्बर में आयोजित शांति वार्ता में हूथी विद्रोहियों ने जेनेवा की यात्रा करने से इनकार कर दिया था, उन्होनें कहा कि यूएन को हमारे प्रतिनिधियों और ओमान में जख्मी विद्रोहियों को वापस सना सुरक्षित पंहुचाने की जिम्मेदारी लेनी होगी।
खाड़ी अरब राजनीति के विशेषज्ञ नील पैट्रिक ने कहा कि सऊदी के साथ साल 2015 से चल रहे इस युद्ध का अंत करने का यह सबसे अच्छा मौका है। बीते माह ब्रिटेन ने यूएन में युद्ध विराम संधि का प्रस्ताव रखा था। अमेरिका ने कहा था कि स्वेडन में बातचीत पूरी होने तक इस प्रस्ताव पर मतदान प्रक्रिया को रोक देना चाहिए।
यमन के आर्थिक जानकार ने बताया कि यमन में बेरोजगारी का स्तर 30 फीसदी से अधिक है और महंगाई 42 फीसदी से ऊपर है। उन्होंने बताया कि अधिकतर मजदूरों को उनकी आय तक नहीं दी जाती है। जानकार ने कहा कि यमन के हालत बहुत भयंकर और खराब है, कर वसूली सुख चुकी है और आर्थिक मुद्रा दिन प्रतिदिन धड़ल्ले से गिरती जा जा रही है।
हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक इस जंग में अब तक 56 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं और यह युद्ध देश को भुखमरी की ओर ले जा रहा है। हालांकि यमन की जनता के लिए यह राहत का ऐलान है। सूत्रों के मुताबिक यूएन का राजदूत शांति वार्ता को आगे बढाने के लिए इस सप्ताह सना जायेंगे और विद्रोहियों के मुखिया से बातचीत करेंगे। साथ ही वह विद्रोहियों के कब्जे वाले बंदरगाह के बाबत भी बातचीत करेंगे।
विद्रोहियों ने प्रमुख प्रवेश मार्ग यह बंदरगाह अपने कब्जे में ले रखा है यह मानवीय सुविधाओं और उप्तादों को लाने का पहला मुख्या मार्ग है। इस मार्ग से देश में 70 से 80 फीसदी उत्पादों का आयात होता है। यूएन के राजदूत ने कहा कि वह इस वर्ष से पहले विद्रोहियों के साथ बातचीत प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। सऊदी अरब और यूएई ने इस शांति वार्ता में यूएन को सहयोग करने का वादा किया है।
ख़बरों के मुताबिक हूथी विद्रोही इस शांति वार्ता के लिए यूएन के राजदूत के कहने पर राज़ी हुए हैं। यह हूथी के कब्जे में बंद हजारों नागरिकों के लिए राहत की बात है। यमन की सरकार और विद्रोहियों के मध्य साल 2014 में जंग शुरू हुई थी जब सरकार ने ईंधन सब्सिडी को बंद कर दिया था। साल 2015 में सऊदी अरब और यूएई इस जंग में कूदे थे।
हूथी विद्रोहियों के सरगना ने कहा कि वह दुनिया को साबित कर देंगे हम भी शांति चाहते हैं। आंकड़ों के मुताबिक सऊदी-यूएई गठबंधन ने यमन में अब तक 18 हज़ार हवाई हमले किये हैं। जिसके एक-तिहाई लक्ष्य आम नागरिक बने हैं।