कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की भारी कमी पर एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि, “राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत रिकॉर्ड नहीं हुई है।”
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों का हर संभव तरह से समर्थन किया था। साथ ही उन्होंने कहा कि रोना वायरस रोगियों की नैदानिक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सीय ऑक्सीजन सहित इस्तेमाल में आने वाली अन्य सामग्रियों के प्रावधान को भी केंद्र सरकार ने सुनिश्चत किया था।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि अस्पतालों को चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति संबंधित अस्पताल और मेडिकल ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता के बीच कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था से निर्धारित होती है।
‘अभूतपूर्व वृद्धि’
उन्होंने कहा कि, “हालांकि, दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण केंद्र सरकार को समान वितरण की सुविधा के लिए कदम उठाना पड़ा। स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि देश में मांग पहली लहर के दौरान 3,095 मीट्रिक टन की तुलना में लगभग 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई।
उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र ने तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) का उत्पादन अगस्त, 2020 में 5,700 मीट्रिक टन से बढ़ाकर मई, 2021 में 9,690 मीट्रिक टन हो गया था। साथ में उन्होंने कहा कि 15 जुलाई, 2021 तक स्वीकृत 1,222 पीएसए (प्रेशर स्विंग अब्सॉर्प्शन) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों में से 237 चालू हो चुके हैं।
हम विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे : कांग्रेस
कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि वह संसद को गुमराह करने के लिए स्वास्थ्य राज्य मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएगी कि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई।
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि “हर राज्य में हमने देखा कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कितने मरीजों की मौत हुई। स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने सदन को गुमराह किया। हम इन मंत्री के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे।”