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    स्मृति ईरानी मंत्रिपद

    मोदी सरकार ने कैबिनेट में बड़ा फेरबदल करते हुए अपनी चर्चित नेत्री स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय छीन लिया है। उनकी जगह राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठोर को नया सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया है। उन्हें मंत्रालय का स्वतंत्र आभार प्रभार दिया गया है।

    स्मृति ईरानी को जुलाई 2017 में यह मंत्रालय दिया गया था। तब मंत्री वैंकेया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने से यह पद खाली हो गया था। श्रीमती ईरानी करीब 10 महीने तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री रही। यह दूसरा मौका है जब स्मृति ईरानी से कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय लिया गया है।

    इससे पहले 2014 में उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया था पर विवादों में घिरे रहने के बाद यह मंत्रालय उनसे लेकर श्री प्रकाश जावड़ेकर को दे दिया गया था।

    सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर भी श्रीमती ईरानी का कार्यकाल कई विवादों से जुड़ा रहा।

    इन विवादों में प्रमुख रहा प्रसार भारती का विवाद जब स्मृति ने प्रसार भारती के अध्यक्ष से विवाद को लेकर इस सरकारी संस्था के कर्मचारियों की तनख्वाह रोक दी थी। इस मामले में संघ को मध्यस्थता करनी पड़ी मध्यस्थता क्योंकि माना जाता है कि प्रसार भारती के तत्कालीन अध्यक्ष सूर्य प्रकाश की संघ के नेताओं के साथ काफी जान पहचान है।

    एक और विवाद तब उत्पन्न हुआ जब स्मृति ईरानी ने आदेश जारी किया था कि सुबह 6:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक टीवी पर कॉन्डम के विज्ञापन नहीं दिखाए जाएंगे। इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी क्योंकि परिवार नियोजन वह सुरक्षित यौन संबंधों की महत्ता समझाने के लिए कॉन्डम का प्रचार जरूरी है।

    सबसे नया तथा आखिरी विवाद फेक न्यूज को लेकर पत्रकारों की सदस्यता खारिज करने को लेकर था। जिसे लेकर विपक्ष ने भी प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े किए थे। बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद यह आदेश वापस लिया गया था। अब स्मृति ईरानी के पास केवल कपड़ा मंत्रालय ही बचा है।

    वित्त मंत्रालय

    एक और चौंकाने वाले फैसले में वित्त मंत्रालय को अरुण जेटली से लेकर वर्तमान रेल मंत्री पीयूष गोयल को दे दिया गया। हालांकि इसके पीछे की वजह अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य को बताया गया है।

    दरसल इसी सोमवार को अरुण जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन हुआ है। इसलिए वित्त मंत्रालय को जेटली के पूरी तरह स्वस्थ होने तक पीयूष गोयल को दे दिया गया है। यह पीयूष गोयल के ईनाम की तरह भी देखा जा सकता है। उनकी अगुवाई में ही ऊर्जा मंत्रालय ने भारत के सभी गांव तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया।

    भाजपा की दुविधा

    स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय छीने जाने से एक दुविधा भी उत्प्न्न होती है। क्या यह मोदी सरकार की स्मृति ईरानी को पार्श्व में भेजने की कोशिश है? कई मौकों पर स्मृति ईरानी ने सामने आकर सरकार का बचाव किया है। संसद में उनके एक संबोधन की तुलना पौराणिक देवियों से भी कुछ लोगों ने की थी।

    सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2014 से ही भाजपा स्मृति ईरानी को राहुल गांधी के खिलाफ पेश करती आई है। 2014 लोकसभा चुनाव में भी अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी ही चुनाव लड़ी, व उन्हें खासी चुनौती दी थी। ऐसे में अगर मोदी सरकार स्मृति ईरानी को किनारे करने की कोशिश कर रही है सवाल ये है कि 2019 में किसे राहुल गांधी के खिलाफ पेश करेंगे?

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