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    कंप्यूटर नेटवर्क में स्पैनिंग ट्री प्रोटोकॉल spanning tree protocol stp in hindi

    विषय-सूचि

    स्पैनिंग ट्री प्रोटोकॉल क्या है? (spanning tree protocol, stp in hindi)

    जब कोई लिंक खराब हो जाता है तब redundant लिंक को विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये भी ध्यान देने वाली बात है कि ये redundant लिंक कभी-कभी स्विचिंग लूप के कारण भी बन जाते हैं।

    स्पैनिंग ट्री प्रोटोकॉल यानि कि STP का प्रमुख कार्य है ये देखना कि जब नेटवर्क में redundant रास्ते हो तब किसी भी तरह का लूप नहीं बने।

    IEEE STP का प्रयोग नेटवर्क को लूप-फ्री बनाने के लिए किया जाता है। ऐसा नेटवर्क को मॉनिटर करने के बाद सभी लिंक को ट्रैक कर के और redundant वाले लिंक्स को बंद कर के किया जाता है।

    कुछ जरूरी परिभाषाएं

    STP को समझने के लिए आपको इस से पहले कुछ जरूरी टर्म्स के बारे में जान लेना होगा जिसका विवरण हम नीचे दे रहे हैं:

    • Bridge Priority Data Unit (BPDU) – ये एक ब्रिज ID रखता है जो कि सेंडर का ब्रिज ID होता है। फिर ये रूट ब्रिज का कोस्ट पता करता है और फिर उसके टाइमर मान को भी सेट करता है। ऐसा स्विच जिसका ब्रिज ID सबसे कम हो वही रूट ब्रिज बनता है। सभी स्विच BPDU का आदान-प्रदान करते हैं ताकि रूट ब्रिज का चुनाव हो सके।
    • Bridge I’d – ये एक 8 बाइट का क्षेत्र होता है जो कि 2 बाइट के ब्रिज प्रायोरिटी और किसी डिवाइस के 6 बाइट के बेस मैक एड्रेस का कॉम्बिनेशन होता है। अगर ब्रिज प्रायोरिटी टाई या ड्रा हो जाए तब बेस मैक एड्रेस पर चर्चा की जाती है।
    • Bridge Priority – ये एक प्रायोरिटी है जिसे सभी के सभी स्विच को असाइन किया जाता है। ये डिफ़ॉल्ट रूप में 32768 होता है।
    • Root Bridge – रूट ब्रिज वो ब्रिज होता है जिसका ब्रिज ID सबसे कम हो। सभी निर्णय जैसे कि कौन-कौन से पोर्ट रूट पोर्ट होंगे (वो पोर्ट जिसका रूट ब्रिज तक बेस्ट पाथ हो), ये सब रूट ब्रिज के आधार पर ही लिए जाते हैं।
    • Path cost – कोई स्विच एक या एक से ज्यादा स्विच से मिल सकता है जब वो रूट ब्रिज के रास्ते में हो। सभी रास्तों का विश्लेषण किया जाता है और सबसे कम कोस्ट वाले रास्ते को चुन लिया जाता है।
      SpeedLink Cost
      10 Mbps100
      100 Mbps19
      1 Gbps4
      10 Gbps2
    • Designated port – The port which sends best BPDU i.e ports on the root bridge will be in forwarding state. ये वो पोर्ट होता है जो BPDU सिग्नल भेजता है। इसका मतलब रूट ब्रिज पर का पोर्ट फोर्वार्डिंग स्टेट में होगा।
    • Root port –  ये वो पोर्ट होता है जो BPDU सिग्नल को नॉन-रूट ब्रिज पर प्राप्त करता है। रूट पोर्ट चुनने के लिए निम्न शर्तें होती है:
    1. रूट ब्रिज तक पहुँचने का ये लोवेस्ट कोस्ट पाथ होना चाहिए।
    2. सेंडर ब्रिज ID सबसे कम होनी चाहिए।
    3. सेंडर पोर्ट ID भी सबसे कम होनी चाहिए।

    (पोर्ट प्रायोरिटी + पोर्ट संख्या) – पोर्ट प्रायोरिटी डिफ़ॉल्ट के तौर पर 128 होता है और पोस्ट संख्या स्विच इंटरफ़ेस संख्या होता है।

    रूट ब्रिज का चुनाव (selection of root bridge)

    स्विच के अंदर के सारे स्विच खुद को रूट ब्रिज घोषित कर देते हैं और अपने BPDU का देन-लेन शुरू कर देते हैं। जिस BPDU  कि ब्रिज ID सबसे कम होगी उसे ही सबसे प्रमुख माना जाएगा।

    अब जो स्विच प्रमुख BPDU को प्राप्त करेगा वो अपने BPDU में बदलाव करेगा और और फिर उसे अपने पड़ोसियों को आगे पास कर देगा। ये रूट ब्रिज ID का मान देता है और उसकी जगह प्रमुख BPDU वाले ब्रिज ID को डाल देता है।

    ये प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक नेटवर्क के अंदर के सारे स्विच इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि ब्रिज के पास सबसे कम ID है और फिर उस स्विच को रूट ब्रिज घोषित कर दिया जाता है।

    अब बांकी के शर्तों के आधार पर रूट पोर्ट को चुना जाता है और वो पोर्ट जो बच जाते हैं उन्हें ब्लॉकिंग मोड में रखा जाता है।

    उदाहरण:

    नीचे एक छोटी सी टोपोलॉजी को आप देखते सकते हैं जिसमे कुल तीन स्विच हैं- A (मैक एड्रेस-0000.0ACA7.A603), स्विच B(0030.F222.2794) और स्विच C(000A.41D5.7937) और सबके पास डिफ़ॉल्ट प्रायोरिटी है- (32768)।

    रूट ब्रिज का चुनाव

    चूँकि यहाँ सभी स्विच के पास डिफ़ॉल्ट प्रायोरिटी है, इसीलिए प्रायोरिटी के आधार पर ये मुकाबला टाई या ड्रा हो जाएगा। अब, जिस स्विच का मैक एड्रेस सबसे कम हो वही रूट ब्रिज बन जाएगा। इसीलिए इस उदाहरण में स्विच A रूट ब्रिज बन जाएगा क्योंकि इसका मैक एड्रेस सबसे कम है। इसीलिए स्विच A के सारे पोर्ट्स फोर्वार्डिंग स्टेट में होंगे यानी कि designated पोर्ट।

    रूट पोर्ट का चुनाव (selection of root port in stp)

    रूट पोर्ट को नॉन-रूट ब्रिज पर चुना जाता है जैसे कि स्विच B और स्विच C. अब मान लीजिये एक पल के लिए स्विच C एक रास्ता चुनता है जो कि स्विच B से होकर जाता है तो कुल कोस्ट होगा: (4+4=8) लेकिन अगर ये सीधा स्विच A से जुड़ा हुआ रास्ता चुनता है तो कोस्ट होगा सिर्फ 4. इसीलिए दोनों ही स्विच B और C स्विच A से जुड़े पोर्ट्स को रूट पोर्ट चुन लेंगे।

    अब ये पता करना बांकी रह गया है कि कौन  से पोर्ट फोर्वार्डिंग मोसे में रहेंगे और कौन से ब्लॉकिंग मोड में। अब स्विच B और C के बीच के लिंक का कोस्ट समान होगा जो कि रूट ब्रिज तक होगा।

    इसीलिए स्विच जिका ब्रिज ID सबसे कम हो वो फोर्वार्डिंग मोड में होगा। तब स्विच C पोर्ट फोर्वार्डिंग मोड में होगा और स्विच B पोर्ट ब्लॉकिंग मोड में।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

    2 thoughts on “कंप्यूटर नेटवर्क में स्पैनिंग ट्री प्रोटोकॉल (STP); परिभाषाएं, रूट-ब्रिज और रूट-पोर्ट”
    1. बहुत बढ़िया। तकनीकी क्षेत्र में हिंदी भाषा में सामग्री बहुत कम है। आपका प्रयास अच्छा है। किसी मदद की आवश्यकता हो तो आप जरूर संपर्क करें।

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