यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2018-19 शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले एक अहम अध्यादेश की घोषणा की है।
विभिन्न तरीकों का इस्तमाल कर अभिभावकों से मनमानी स्कूल फीस वसूलने वाले स्कूलों के लिये योगी सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
इस अध्यादेश से सम्बंधित मुख्य बातें:
- विद्यालय हर साल 7-8% से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकता है। तथा शिक्षकों की तनख्वाह बढ़ाने के लिए फीस में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।
- विद्यालय अभिवावकों से सिर्फ चार तरह के शुल्क वसूल सकता है। जो कि स्कूल रजिस्ट्रेशन शुल्क, एडमिशन शुल्क, ट्यूशन फी, तथा परीक्षा शुल्क हैं।
- स्कूल अगर होस्टल व कैंटीन की सुविधाएं उपलब्ध करवाता है तो उसके लिए अलग से शुल्क लेने का प्रावधान है।
- अगर स्कूल बच्चों को शैक्षिक अथवा मनोरंजक पर्यटन ले कर जाता है तब भी अतिरिक्त शुल्क वसूला जा सकता है।
- अगर विद्यालय अन्य व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक गतिविधियाँ करता है तो उसकी पूरी जानकारी सरकार को देनी होगी।
- ऐसी गतिविधियों से प्राप्त आय को स्कूल के विकास में ही लगाया जाना होगा।
- बारहवीं कक्षा तक बच्चों से सिर्फ एक बार एडमिशन फीस ली जायेगी।
- शिक्षण स्तर शुरू होने के कम से कम 60 दिन पहले स्कूल को बढ़ी हुई शुल्कों समेत सभी शुल्कों का वर्णन करना होगा। I
- स्कूल को अपनी फीस सम्बंधित सारी जानकारी स्कूल की वेबसाइट पर लगाना अनिवार्य होगा।
- अभिभावक किसी खास दुकान से किताबें अथवा स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने को बाध्य नहीं होंगे।
- तथा कोई भी स्कूल अपनी यूनिफॉर्म में 5 वर्षों तक कोई बदलाव नही कर सकता है।
- आदेशों का पहली बार उलँघन करने पर स्कूल पर एक लाख रुपयों का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर पांच लाख का जुर्माना तथा तीसरी बार करने पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जायेगी।
- यह फैसला उन स्कूलों पर लागू होगा जिनकी सालाना फीस 20 हज़ार से ज्यादा है।
- विद्यालय को अभिभावकों की समस्या को दूर करने के लिए एक निस्तारन कमिटी बनानी होगी।
यह फैसला “सीबीएसई” तथा “आईएसीएसई” के द्वारा मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों पर लागू होगा।
लम्बे समय से अभिभावकों की यह मांग लम्बित पड़ी थी। स्कूलों को पैसा छापने वाली मशीन का इस्तेमाल करने वाले प्रबन्धकों की आँखें खोलने का यह सही तरीका है।
इस अध्यादेश की जानकारी यूपी सरकार के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने प्रेस-वार्ता में दी।
चूंकि अभी यूपी विधान-सभा का सत्र नहीं चल रहा है इसलिए यह निर्देश अध्यादेश के रूप में पास किये जाएंगे।