2011 विश्वकप के हीरो रहे युवराज सिंह ने सोमवार को अपने 17 साल लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर पर पर्दा डाल दिया है। एक पूर्व क्रिकेटर जिसको इस फैसले ने विशेष रुप से छुआ वह कोई और नही पूर्व कप्तान सौरव गांगुली थे। 46 वर्षीय सौरव गांगुली टीम के कप्तान थे जब 18 साल की उम्र में युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। और जैसे-जैसे समय गुजरता गया वह सौरव गांगुली के बहुत करीबी दोस्त बन गए थे। थोड़े समय बाद गांगुली के साथ-साथ युवराज सिंह भी भारतीय बल्लेबाजी के मुख्य स्तंभ बन गए थे।
गांगुली ने अपने कार्यकाल के टीम एक ऐसी मजबूत टीम बना रखी थी जिसमें से वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, जहीर खान और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी 2011 विश्वकप में टीम को दूसरा विश्वकप खिताब जितवाने में शामिल थे। गांगुली की टीम के ये युवा तुर्क कभी यह बात नही भूलते की गांगुली ने उनके जीवन में परिवर्तन लाने की भूमिका निभाई थी।
सौरव गांगुली ने युवराज सिंह को बधाई दी
गांगुली युवराज सिंह के सन्यांस के बाद उन्हे बधाई देने वाले संदेश से नही चूंके। उन्होने अपने ट्वीट में लिखा, हर एक अच्छी चीज का अंत होता है और कहा की मैं तुम्हे अपने भाई जैसा मानता हूं। उनके ऊपर पूरे देश को गर्व है और उनके एक शानदार करियर रहा है।
@YUVSTRONG12 dear Yuv .. every good thing comes to an end .. I tell u this was a marvellous thing..u were like my brother very dear.. and now after u finish even dearer.. the entire country will be proud of u . Love u lots..fantastic career..@bcci
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) June 10, 2019
युवराज सिंह भी अपने पसंदीदा कप्तान के ट्वीट को पढ़ना नही भूले और उन्हे सौरव गांगुली का धन्यवाद किया कि उन्हे गांगुली ने भारत के लिए खेलने का मौका दिया।
Thanks Dadi for giving me an opportunity to play for india and live my dream 🙏 you will always be special to me
— Yuvraj Singh (@YUVSTRONG12) June 10, 2019
युवराज सिंह ने अपना डेब्यू 2000 में केन्या के खिलाफ किया था, जहां पहले मैच में उन्हे बल्लेबाजी करने का मौका नही मिला था। अगले मैच में उन्होने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 80 गेंदो में 84 रन की पारी खेली थी और भारत को जीत दर्ज करवाई थी।
युवराज सिंह अपने करियर के चरम पर तब दिखे जब 2011 विश्वकप में उन्होने बल्ले और गेंद से शानदार भूमिका निभाते हुए टीम को जीत दर्ज करवाई थी। युवराज ने इस तथ्य के कारण जबरदस्त सम्मान अर्जित किया कि उन्होंने कैंसर के घातक खतरे को हराकर मैदान पर वापसी की और अधिक रन बनाए।