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    न्यूयॉर्क, 9 मई (आईएएनएस)| फर्जी खबरों के प्रसार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं से निपटने को लेकर समाचार स्रोतों के लिए विश्वसनीयता स्थापित करना सही नीति है। शोधकर्ताओं का ऐसा कहना है।

    पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए फर्जी खबरें एक खतरा बन चुकी हैं और गलत जानकारी के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।

    कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नए सबूत सामने रखे हैं जिसमें यह देखा गया है कि स्वचालित प्रतिक्रियाएं सूचना के स्रोत के बारे में लोगों की मान्यताएं जानकारी को कैसे प्रभावित करती हैं।

    उन्हें यह भी पता चला है कि नई जानकारी झूठे समाचार को खत्म करने और उसके प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

    कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर, मेलिसा फग्र्यूसन ने कहा, “हम जानना चाहते थे कि समाचार के स्रोत की जानकारी का प्रस्ताव क्या लोगों के साहस के स्तर और स्वचालित प्रतिक्रियाओं पर प्रभाव डालता है।”

    फग्र्यूसन ने जोर देकर कहा, “क्या यह जानते हुए कि कुछ नकली है, जिसका खतरनाक प्रभाव है, जो बाद में व्यक्ति के प्रति हमारे विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है? हमारे अध्ययन बताते हैं कि फर्जी खबरों से निपटने के लिए समाचार स्रोतों के लिए विश्वसनीयता स्थापित करना सही नीति है।”

    दूसरों के बारे में नई जानकारी का सत्य किस तरह से उनकी कथित भावनाओं और उनके साहस के स्तर को प्रभावित करता है और यह जानने के लिए फग्र्यूसन और उसके साथी शोधकर्ताओं ने 3,100 प्रतिभागियों पर सात से ज्यादा प्रयोग किए।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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