कांग्रेस पार्टी के सलाहकार और राजनीतिक नेता बने सैम पित्रोदा ने बृहस्पतिवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों(ईवीएम) सॉफ्टवेर से चलती है और इसमें कुछ गड़बड़ होने की संभावना है।
इस कांग्रेस नेता ने कहा वह फिलहाल इस गड़बड़ी की ओर ठीक ठीक इशारा नहीं कर सकते और इसके लिए इस मशीन का अध्ययन करने की जरूरत है।
पित्रोदा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बतौर अभियंता, एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में, मैं ईवीएम से संतुष्ट नहीं हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं साफ साफ कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं क्योंकि मेरे पास ईवीएम नहीं है। अगर कोई मुझे एक साल के लिए ईवीएम अध्ययन के लिए दे दे, तब ही मैं कुछ कह सकता हूं।’’
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार पित्रोदा ने कहा, ‘‘आपको डिजाइन और सॉफ्टवेयर समझना होगा।..लेकिन एक बात बहुत निश्चित है कि इसके साथ कुछ तो गड़बड़ है। हमें नहीं पता कि क्या गलत है।’’
ज्ञातव्य है कि विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता को संदेहास्पद होने का दावा करते हुये लोकसभा चुनावों में कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्ची की गणना करने की मांग की है।
उन्होंने कांग्रेस की न्याय योजना के बारे में भी चर्चा की।
सैम पित्रोदा नें कांग्रेस की न्याय योजना के बारे में बात करते हुए कहा कि इस योजना के जरिये कांग्रेस देश की 20 फीसदी सबसे गरीब जनता को सालाना 72,000 रुपए देगी। उन्होनें कहा कि कांग्रेस के नेताओं नें देश-विदेश में कई समझदार लोगों से सलाह-मशवरा लेकर इस योजना को बनाया है।
उन्होनें कहा कि इस योजना के लिए पैसे मध्य वर्ग के लोगों को नहीं देने होंगे। उन्होनें कहा कि जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, उसी से इस योजना के लिए पैसे इकठ्ठा किया जाएगा।
जाहिर है सैम पित्रोदा को भारत में दूरसंचार के मामले में क्रांति लाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि राजीव गांधी नें कंप्यूटर क्रांति लाने में सैम पित्रोदा की मदद ली थी।
हाल ही में सैम पित्रोदा विवादों में तब फंस गए थे जब उन्होनें कहा था कि मोदी सरकार को बताना चाहिए कि उन्होनें बालाकोट में कितने सैनिक मारे?
इसके बाद नरेन्द्र मोदी नें ट्वीट कर सैम पित्रोदा को घेरा और कहा कि जिस पार्टी के मार्गदर्शक ही देश की सेना पर सवाल उठाते हैं, वे देश की सेवा कैसे करेंगे?
इसके बाद हालाँकि सैम पित्रोदा नें इस बात पर अपनी सफाई दी थी।