पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने शनिवार को मुल्क के सैनिको और नागरिको को लाइन ऑफ़ कंट्रोल के जरिये मानवीय सहायता पंहुचाने या कश्मीरियों को समर्थन करने के लिए भारत में प्रवेश न करने की चेतावनी जारी की है। यह भारत के पाखंडो से खेलना होगा जो कहते हैं आतंकवाद पाकिस्तान से भेजा जाता है।
कश्मीरियों के लिए उनका सन्देश उनके 67 वें जन्मदिन पर आया है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान एलओसी के जरिये भारत में आतंकवादियों को भेजता है।
इमरान खान ने ट्वीटर पर लिखा कि “घाटी में दो महीने से ज्यादा समय से अमानवीय कर्फ्यू जारी है। पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने अपनी अवाम को भारत की सीमा पार न करने की चेतावनी दी है। करीब 10 दिनों पूर्व ही भारतीय सेनाध्यक्ष ने खुलासा किया था कि बालाकोट में आतंकवादी शिविर दोबारा सक्रिय हो गए हैं।
सात महीने पूर्व ही जैश ऐ मोहम्मद के आतंकवादियों के शिविरों को भारतीय वायुसेना ने तबाह कर दिया था। इससे पूर्व जैश के आतंकवादियों ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया था। भारतीय सेना के काफिले पर हुए हमले में 40 जवानो की मौत हो गयी थी।
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने 24 सितम्बर को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में कहा कि “पाकिस्तान ने बहुत जल्दी ही बालाकोट को दोबारा सक्रीय कर दिया था यह दर्शाता है कि बालाकोट प्रभावित हुआ था। यह क्षतिग्रस्त और तबाह हुआ था और इसलिए लोग यहा से दूर चले गए थे और अंब इसे दोबारा सक्रीय कर दिया गया है।
जनरल रावत ने कहा कि “500 घुसपैठिये भारत में प्रवेश के लिए घात लगाकर बैठे हैं।” पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री ने अंतरराष्ट्रीय मंचो पर कश्मीर मामले को उठाया था हालाँकि वह अपने इरादों में नाकाम रहा था और अपनी नाकामी को कबूल किया था।
उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “सच बोलूं तो मैं वैश्विक समुदाय से निराश हूँ। अगर 80 लाख यूरोपीय या यहूदी या अमेरिकी नागरिको को अगर नजरबन्द रखा होता उनका व्यवहार और तत्कालिता अलग होगी। यह शायद आठ अमेरिकी नागरिको के मामले में भी भिन्न होती। हमारे समक्ष क्या विकल्प है, हमें क्या करना चाहिए।”
यूएनजीए में इमरान खान ने कश्मीर के मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की धमकी दी थी जिसके परिणाम सीमा से बाहर जायेंगे। भारत ने कश्मीर मामले को देश का आंतरिक मसला करार दिया है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।