सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली की सड़कों पर चौपहिया वाहनों की संख्या कम करने के लिए ऑड-ईवन योजना लागू होने के बावजूद प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और फिर से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को प्रदूषण से निपटने के उपाय खासकर, पराली जलाए जाने पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “दोपहिया वाहनों को इसमें छूट न दें, इसका फायदा होगा।”
सुनवाई के दौरान, न्यायधीशों ने बीते दो वर्षो में एकत्रित वायु गुणवत्ता सूचकांक को देखते हुए दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना पर गौर किया। न्यायमूर्तियों ने दिल्ली सरकार के वकील और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि कुल आबादी के केवल तीन प्रतिशत लोग कार रखते हैं। सड़कों पर इन कारों की संख्या कम करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है।
अदालत ने पाया कि प्रदूषण में 40 प्रतिशत योगदान देने वाले पराली जलाने की घटना को अगर बाहर कर दिया जाए तो दिल्ली का स्थानीय प्रदूषण एक बड़ी समस्या है।
अदालत ने पूछा, “अधिकारियों के मुताबिक, पराली जलाने की घटना में कहीं पांच प्रतिशत की कमी आई है..हम दिल्ली के स्थानीय वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर चिंतित है।”
अदालत ने पाया कि ‘अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़े दिखाते हैं कि ऑड-ईवन योजना ने बमुश्किल ही वायु गुणवत्ता सुधारने में कोई प्रभाव डाला है। सवाल यह है कि आपने इस योजना से क्या हासिल किया?’
अदालत ने ऑड-ईवन के सामाजिक परिपेक्ष्य के बार में कहा, “ऑड-ईवन केवल मध्यवर्ग पर प्रभाव डालेगा, क्योंकि संपन्न वर्गो के पास कई कार है..ऑड-ईवन एक समाधान नहीं है बल्कि सार्वजनिक परिवहन हो सकता है। लेकिन इस बारे में कुछ भी नहीं किया गया।”
इस मामले पर सुनवाई 25 नवंबर को भी जारी रहेगी।