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    यमन में सऊदी के गठबंधन में सूडान के सैनिक भी शामिल है और अमेरिका को इस गठबंधन से बाहर निकलने की चेतावनी कांग्रेस ने दे दी है। सूडान के आला सैन्य अधिकारी ने कहा कि “सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन में सूडान के सैनिकों की भागीदारी रहेगी जब तक सल्तनत जंगी देश यमन में अपने मंसूबो को हासिल नहीं कर लेती है।”

    यमन में सैनिक तैनात रहेंगे

    सोमवार को सुना एजेंसी से मिलिट्री कॉउन्सिल के अधिकारी मोहम्मद हमदान डागलो ने कहा कि “अरब गठबंधन से की अपनी प्रतिबद्धता पर हम कायम रहेंगे और हमारे सैनिक लक्ष्यों को हासिल करने में गठबंधन के साथ बने रहेंगे।” साल 2015 में बर्खास्त सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर ने मुल्क की विदेश नीति के तहत यमन में सैनिकों की तैनाती की थी।

    बेदखल राष्ट्रपति ने शिया बहुल ईरान के साथ दशकों पुराने सम्बन्ध को तोड़कर, सऊदी अरब के गठबंधन को ज्वाइन किया था। कई विपक्षी नेताओं और विश्लेषज्ञों ने पूर्व राष्ट्रपति के फैसले सवाल खड़े किये थे जिसका तर्क उन्होंने विचारधारा का दिया था।

    जंग से जूझता यमन

    बीते हफ्ते बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था और अब उनकी नीतियों के साथ ही आगे बढ़ा जा रहा है। नए सैन्य हुक्मरानो द्वारा विदेश नीति के पहले प्रमुख भाग का ऐलान है। सूडानी मीडिया के मुताबिक, यमन में जंग लड़ रहे सैनिक रैपिड सपोर्ट फाॅर्स पैरामिलिट्री समूह के हैं।

    यमन की जंग में सैंकड़ों सूडानी अफसर और सैनिक जंग लड़ रहे हैं और इसमें हताहत की संख्या भी बढ़ रही है जिससे सैनिकों को हटाने की मांग बढ़ती जा रही है।

    रविवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, यमन की विध्वंशक जंग से बाहर निकलने के लिए सऊदी अरब कई मार्गो की तलाश कर रहा है और उसके सहयोगी ब्रिटेन और अमेरिका इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निव्हा सकते हैं। हाल ही में अमेरिकी काँग्रेस ने यमन में जनहानि और भुखमरी के बढ़ते स्तर पर चेतावनी जारी की थी। साथ ही अमेरिका को तुरंत यमन में सऊदी गठबंधन से बाहर निकलने के लिए विधेयक पारित किया था।

    सूडान की वर्तमान स्थिति

    हाल ही में सूडान में बीते महीनो से प्रदर्शन के कारण विगत सप्ताह सेना ने 30 वर्षों से मुल्क पर हुकूमत कर रहे राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

    इसके बाद सूडान में रविवार को प्रमुख प्रदर्शनकारी समूह ने तत्काल सत्ता को जनता के सुपुर्द करने की मांग की क्योंकि कई लोगों को यह डर है कि सत्ता सेना के हाथ में जा सकती है।

    सेना नें इस बारे में कहा, “नयी सरकार के गठन के लिए सेना विपक्षी दलों के साथ कार्य करने के लिए तैयार है। गेंद अब राजनीतिक ताकतों के पाले में हैं। अगर वह आज किसी चीज़ पर रज़ामंदी को तैयार है तो हम उस पर अमल करने के लिए तैयार है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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