सूडान की जनता ने नयी सैन्य परिषद् द्वारा घोषित कर्फ्यू को अनदेखा करते हुए राजधानी की सड़कों पर एकत्रित हुए थे। गुरूवार को दशकों से राष्ट्रपति की गद्दी पर नियुक्त ओमर अल बशर को सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, सैन्य परिषद् भी बशीर के कार्यकाल का भाग है।
इससे सूडानी प्रदेशानकारियों और सेना के बीच संघर्ष बढ़ सकता है। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस अफ्रीका के संपादक विल रॉस में कहा कि “एक वास्तविक खतरा यह भी है कि चरमपंथी और सुरक्षा बल एक-दुसरे पर अपनी बंदूके तान सकते हैं।” यूएन और अफ्रीकी राष्ट्रों ने शान्ति की मांग की है।
हाल ही में प्रदर्शन के आयोजकर्ताओं ने सैन्य मुख्यालय के बाहर हज़ारो लोगो के एकत्रित होने का आवाह्न किया था इसके बाद बशीर की गिरफ्तारी की गयी थी। इसके बाद आधिकारिक बयान जारी कर बताया की स्थानीय समय 22:00 बजे से कर्फ्यू जारी रहेगा।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, नागरिकों से उनकी सुरक्षा के लिए इसका पालन करने की हिदायत दी जाती है। आर्मी और सुरक्षा परिषद् शान्ति, सुरक्षा और नागरिको के संरक्षण के लिए अपना कर्त्तव्य का निर्वाहन करेगी।
बशीर के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी कर रखा था। इसमें उनके खिलाफ सूडान के पश्चिमी भाग में मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराध का आरोप लगाया गया है। गुरूवार की सुबह सेना के वाहन खार्तूम यानी बशीर के निजी आवास के परिसर में दाखिल हुए।
रक्षा मंत्री आवड इब्न ओफ ने शासन के शिखर की घोषणा की थी और कहा कि बशीर को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाय गया है हालाँकि इसके बाबत उन्होंने अधिक जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि “देश इस वक्त बुरे प्रबंधन, भ्रष्टचार और न्याय की गैर हाज़िरी से जूझ रहा है और उन्होंने हिंसा व मृत्यु के लिए माफ़ी मांगी।”
अफ्रीका के संपादक फर्गेल केएन ने कहा कि “इसका कोई रोडमैप तैयार नहीं है कि कैसे सेना सिविल हुकूमत को हुकूमत सौंपेंगी। ऐसे किसी मंसूबे के न होने का भी भय है। प्रदर्शन के आयोजनकर्ता सूडानी प्रोफेशनल एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस कॉस्मेटिक परिवर्तन को स्वीकार नहीं करेंगे।”
एसपीए ने कहा कि सेना ने तख्तापलट का ऐलान किया है जो केवल नए चेहरों और संस्थानों को नई सूरत में पेश करेगा।जिसका हमारे महान लोगों ने विरोध किया था। उन्होंने लोगो को सैन्य मुख्यालय के बाहर बैठने और पूरे देश की सड़कों पर रहने का आग्रह किया है।
प्रदर्शन की शुरुआत दिसंबर में हुई थी जो ब्रेड की मीटो में तीन गुना वृद्धि से हुई थी। इसके बाद जनता ने राष्ट्रपति को इस्तीफा देने के लिए कहा था।
सरकारी अधिकारीयों के अनुसार, दिसंबर से अभी तक 38 लोगो की मृत्यु हुई है लेकिन मानवधिकार समूह में मुताबिक यह आंकड़ा अधिक है। इसके बाद बशीर ने अनिश्चितकाल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था।
ओमर अल बशीर एक पूर्व सेना के अधिकारी है जिन्होंने साल 1989 में सत्ता पर कब्ज़ा किया था। उनका शासन गृह युद्ध की देना था। देश के दक्षिण भाग ने संघर्ष साल 2005 में समाप्त हो गया था और साल 2011 में सूडान आज़ाद हो गया था।
एक अन्य संघर्ष देश के पश्चिमी भाग में हो रहा है जिसके कारण बशीर पर युद्ध को भड़काने और मानवता के खिलाफ कार्रवाई करने के आरोप लगाए गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत के गिरफ्तारी वारंट के बावजूद बसहित साल 2010 और 2015 में चुनाव जीते थे। उनकी पिछली जीते में विपक्षी पार्टियों के चुनाव के बहिष्कार से हुई थी।