सूडानी प्रदर्शनकारियों और विपक्षी नेताओं ने बुधवार को नागरिक अवज्ञा अभियान के का आवाहन किया है क्योंकि वह अंतरिम सरकार के उनके प्रस्ताव पर सैन्य प्रतिक्रिया से निराश है। राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को सत्ता से बाहर फेंकने के बाद सैन्य परिषद् और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव का माहौल बना हुआ है।
डेक्लेरेशन ऑफ़ फ्रीडम एंड चेंज फोर्सेज के नेता मदानी अब्बास मदानी ने कहा कि “हमने नागरिक अवज्ञा का आवाहन और तैयारियां की है।” हालाँकि इसकी योजना के बाबत कोई जानकारी मुहैया नहीं की गयी है। डीएफसीएफ ने कार्य हड़ताल, मार्च, प्रदर्शन और हफ्तों तक नागरिक अवज्ञा के कार्यो का नेतृत्व किया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलों, सड़कों और रेल ट्रैक को ब्लॉक किया है और इससे सूडान का परिवहन ढाँचे को दिक्कत हुई है।
प्रदर्शनकारी नेता खालिद ओमर योसेफ ने कहा कि “इसका मकसद सेना के साथ संघर्ष शुरू करना नहीं है बल्कि मतभेदों के समाधान निकालने के प्रयासों को तीव्र करना है।” मध्य खारर्तूम में स्थित रक्षा मंत्रालय के बाहर हफ्तों से हज़ारो प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हैं और उनकी सैन्य परिषद् से सत्ता को नागरिक सरकार को थमाने की मांग है।
डीएफसीएफ द्वारा निर्मित संवैधानिक मसौदे में संप्रभु ट्रांज़िशनल कॉउन्सिल के कर्तव्यों का जिक्र है जो टीएमसी को हुकूमत से अलहदा कर देगा हालाँकि कौन सत्ता की बागडोर संभालेगा यह तय नहीं है। इस योजना में कैबिनेट और 120 सदस्यों की जिम्मेदारियों का भी जिक्र है।
अमेरिकी राज्य विभाग के उपसचिव जॉन सुविल्लिअन ने टीएमसी के अध्यक्ष अब्देल फ़त्ताह अल बुरहान से बुधवार को बातचीत की थी और डीएफसीएफ के साथ समझौते पर करार करने का आग्रह किया था जो सूडानी जनता की इच्छा को व्यक्त करती है और नागरिक प्रशासित अंतरिम सरकार के गठन की तरफ कदम बढ़ाती है।
बयान में राज्य विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ओरटागुस ने कहा कि “सुविल्लिअन ने टीएमसी से शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति प्रदान करने का भी आग्रह किया था।” केन्या के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने विपक्षी प्रदर्शनकारियों के जिम्मेदाराना और संयमित व्यवहार की सराहना की है।
केन्या में विदेशी मामलो की प्रमुख कैबिनेट सेक्रेटरी मोनिका जुमा ने कहा कि “पडोसी होने के नाते हम सूडान को एकजुटता का सन्देश भेजा है कि हम जनता का समर्थन करेंगे और हमने समावेशी प्रक्रिया का आग्रह किया है। हमने सभी पक्षों के संयमता बरतने का आग्रह किया है क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण सम्पन्न हो।”
विचारधारा का हथियार
मंगलवार को टीएमसी ने प्रस्ताव का इस्तकबाल किया लेकिन कहा कि हम कुछ महत्वपूर्ण मसलों को नजरअंदाज करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने टीएमसी पर उनकी टांग खींचने का आरोप लगाया और कहा कि “शरिया जैसे मसले अंतरिम संविधान का मामला नहीं है।
डीएफसीएफ के सदस्य ने कहा कि “शरिया और देश की भाषा जैसे मुद्दे पूर्ववर्ती सरकार के विचारधारा के हथियार थे और इन मुद्दों का इस्तेमाल कर वह लोगो के बीच फुट डालते थे। मुस्लिम बनाम गैर मुस्लिम, अरब बनाम गैर अरब। यह बेहद खतरनाक खेल है और अब हम इस खेल को खेलने के इच्छुक नहीं है।”
सूडान की जनसँख्या का 97 फीसदी भाग मुस्लिम समुदाय है और शेष में अधिकतर ईसाई धर्म के लोग हैं। विपक्षी नेता ने न्यूज़ कांफ्रेंस में कहा कि “टीएमसी की प्रतिक्रिया प्रस्तावित अंतरिम सरकार पर सैन्य नियत्रण स्थापित करने को दर्शाता है। टीएमसी के सदस्य यास्सेर अल अट्टा ने कहा कि “प्रदर्शनकारियों के साथ बैठकर परिषद् विभिन्न मतभेदों पर चर्चा के लिए तैयार है।”
सूडान की सत्ता पर बशीर 30 वर्षों से काबिज था। सूडान के पश्चिमी दारफुर क्षेत्र में कथित युद्ध अपराध के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत ने वांटेड घोषित कर रखा था। वह अभी जेल में कैद हिअ और उन पर धनशोधन मामले की जांच चल रही है।