Sun. Nov 17th, 2024
    सूडान में प्रदर्शन

    सूडान में गुरूवार को रक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शनकारियों ने जमकर प्रदर्शन किया और सैन्य परिषद् से देश की हुकूमत नागरिक शासन को हस्तांतरित करने के लिए दबाव बनाया था। हज़ारो की संख्या में प्रदर्शनकारियों का हुजूम सड़को पर उमड़ गया था।

    सूडान में प्रदर्शन जारी

    बीते सप्ताह राजधानी के केंद्र में विशाल संख्या में प्रदर्शनकारियों का हुजूम जमा हुआ था और इसके दबाव में आकर सेना में ओमर अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था और मिलिट्री में देश को बागडोर संभाल ली थी। प्रदर्शनकारियों ने “आज़ादी और क्रांति जनता का चयन है” और नागरिक हुकूमत, नागरिक हुकूमत जैसे नारे लगाए और राष्ट्रीय ध्वज को लहराया था।

    विशालकाय स्क्रीन पर सुरक्षा बलों द्वारा किये गए अत्याचारों को दिखाया गया था। 24 वर्षीय प्रदर्शनकारी समिआ अब्दुल्लाह ने कहा कि “जब तक शासन की बागडोर नागरिक सरकार के हाथो में नहीं सौंप दी जाती हम सड़को पर ही रहेंगे। हम सैन्य शासन को झुका कर रहेंगे।”

    सैन्य परिषद् ने कहा कि “वह कुछ प्रदर्शनकारियों से मुलाकात के लिए तैयार है लेकिन वह प्रदर्शनकारी नेताओं के हाथ में सत्ता नहीं सौंपेंगे।” उनके मुताबिक दो वर्षों तक सत्ता सेना के हाथ में रहेगी और इसके बाद चुनावों का आयोजन किया जाये और वह बशीर के विरोधी कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के साथ एक अंतरिम सरकार के निर्माण के लिए साथ में कार्य करने के लिए तत्पर है।

    सैन्य परिषद् के पास हुकूमत

    लेफ्टिनेंट जनरल सालाह ने कहा कि “हम दो वर्षों में सत्ता का हस्तांतरण करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।” 10 सदस्यीय सैन्य परिषद् के प्रमुख अब्देल फ़त्ताह अल बुरहान और उनके सहकर्मी को सऊदी अरब और यूएई के साथ संबंधों के लिए प्रख्यात माना जाता है। यमन में हूथी विद्रोहियों के साथ सऊदी गठबंधन का समर्थन करने का सैन्य परिषद्  ने निर्णय लिया था।

    गुरुवार को परिषद् के प्रवक्ता ने कहा कि “क़तर, सऊदी अरब और यूएई से प्रतिनिधियों के आगमन की तैयारियां जारी है।” प्रवक्ता शम्स एल दिन काब्बाशी ने कहा कि “मंत्रालय ने परिषद् से चर्चा किये बगैर यह बयान जारी किया था।”

    खारर्तूम में 6 अप्रैल से प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन जारी है और 16 हफ्तों के प्रदर्शन से सूडान की आर्थिक स्थित बिगड़ती जा रही है। 30 सालो तक सत्ता में बरक़रार रहने के बाद बशीर को बेदखल और गिरफ्तार कर लिया गया था। उतपादो की बढ़ती कीमतों और नकदी की कमी से सूडान की जनता काफी परेशानी में हैं।

    विश्लेषक देश की इस बिगड़ती हालात का जिम्म्मेदार कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अमेरिका के प्रतिबंधों को मानते हैं, साथ ही साल 2011 के में दक्षिण सूडान के अलग होने से भी ऑयल रेवेनयू कमाने में काफी मुश्किल हुई है। साल 2017 में  अमेरिका ने व्यापार प्रतिबंधों को हटा दिया था लेकिन सूडान को आतंकवाद के प्रायोजकों की सूची में ही रखा था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *