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    सूडान के राष्ट्रपति

    सूडान में तीन महीनो से अधिक नागरिकों का प्रदर्शन जारी है क्योंकि ब्रेड की कीमते आसमान छू रही है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति ओमर अल बशीर से 30 वर्षों बाद सत्ता छोड़ने की मांग की है। दक्षिण पंथी समुदायों ने सूडानी विभागों पर दिसंबर से जारी प्रदर्शनों पर भारी कार्रवाई का आरोप लगाया है। निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की है।

    सूडानी विभाग के मुताबिक हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 32 लोगो की मृत्यु हुई है। मानवाधिकार समूह के मुताबिक 51 लोगो की जान गयी है। विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को नेशनल इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सर्विस ने जेल में बंद कर दिया है।

    ब्रेड के लिए प्रदर्शन

    19 दिसंबर को सूडानी जनता का अतबारा में प्रदर्शन के लिए हुजूम उमड़ा क्योंकि सरकार ने ब्रेड की कीमतों को तिगुना करने का निर्णय लिया था। इस दिन विपक्षी पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री सादिक़ अल मेहदी एक वर्ष के निर्वासन के बाद वापस लौटे थे।

    आज़ादी, इन्साफ और शान्ति

    प्रदर्शनकारी 20 दिसंबर को आज़ादी, इन्साफ और शान्ति का नारा लेकर सड़कों पर वापस लौटे थे और इनमे से कुछ  सरकार को गिराने का नारा लगा रहे थे। पुलिस के साथ हुई झड़प में आठ लोग मारे गये। इसके एक दिन बाद राजधानी खारर्तूम में प्रदर्शन हुए थे। नेशनल उम्मा पार्टी ने अपने सदस्यों को आंदोलन में भाग लेने के लिए कहा था।

    प्रदर्शन के छठे दिन 24 दिसंबर को राष्ट्रपति ने चुप्पी तोड़ी और असल सुधार का वादा किया। इस दिन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंदोलन की शुरुआत से मृतकों की संख्या 37 बताई थी।

    अस्पताल में गोलीबारी

    1, जनवरी को 22 राजनीतिक समूहों ने सूडान में नयी सरकार की मांग की थी। दवाइयों के दाम बढ़ने पर राष्ट्रपति ने स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त कर दिया था। इसके चार दिन बाद प्रदर्शनकारियों के अस्पताल में घुसने के प्रयास पर सैनिकों ने और आंसू गैस के गोले दागे। 13 जनवरी को पहली बार सूडान के पश्चिमी भाग में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूटा था।

    आपातकाल नियम

    sudan

    बशीर ने समर्थकों से कहा कि प्रदर्शनकारी सरकार को नहीं बदल सकते हैं। 17 जनवरी को पश्चिमी ताकतों ने सुरक्षा  परिषद् में सूडान से प्रदर्शनकारियों के अधिकार का सम्मान करने की बात कही थी। 11 फरवरी को ह्यूमन राइट वाच ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के हिंसक रवैये की वीडियो जारी की थी। इसमें गोलीबारी, आंसू गैस छोड़ना, पीटना, गिरफ्तारी और छापेमारी शामिल थी।

    इसके दस दिनों बाद सुरक्षा बलों ने विपक्षी नेताओं और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया था क्योंकि सैकड़ों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे थे।

    22 फरवरी को राष्ट्रपति ने देश में एक वर्ष के लिए आपातकाल लागू कर दिया था। इसके साथ ही कैबिनेट और स्थानीय सरकारों को बर्खास्त कर दिया था। इसके दो दिनों बाद बशीर ने मोहमद ताहिर इला को नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी, जबकि प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे।

    6 अप्रैल को पहली बार प्रदर्शनकारियों ने खारर्तूम में स्थित सैन्य मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इससे अलग एक प्रदर्शन में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी। 7 अप्रैल को भी हज़ारो नागरिकों ने आर्मी कॉम्प्लेक्स के बाहर प्रदर्शन किया था, जो राष्ट्रपति के अधिकारीयों और रक्षा मंत्रालय के अधिकारीयों का निवास स्थान भी है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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