सूडान के खारर्तूम की सड़को पर हज़ारो प्रदर्शनकारियों का हुजूम उमड़ आया है और उनकी देश में सैन्य परिषद् को खत्म करना है। समस्त सूडान से लाखो लोग नागरिक हुकूमत के लिए प्रदर्शन से जुड़े है। ट्रांज़िशनल मिलिट्री कॉउन्सिल से तीन विवादित लोगो ने इस्तीफा दे दिया है, जो प्रदर्शनकारियों की महत्वपूर्ण मांगों में से एक थी।
एक प्रदर्शनकारी ने बीबीसी को बताया कि “हम ऐतिहासिक लम्हे के मध्य में खड़े हैं। कोई भी विभाजन सूडान की रीढ़ की हड्डी को तोड़ देगा। सैन्य परिषद् सिर्फ अपने वक्त बर्बाद कर रही है कि हम निराश हो जायेगे और घर बैठ जायेंगे। हम यहां चार महीनो से बैठे हैं। जब तक जो हम चाहते हैं हमें नहीं जाता, हम यहां 100 वर्ष भी इन्तजार करने को तैयार है।”
प्रदर्शनकारियों के अम्ब्रेला ग्रुप ने एक विशाल रैली का आयोजन किया था और इसे आज़ादी और बदलाव का गठबंधन कहा था।
इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी बेहद जोशीले मूड में थे और उन्होंने नागरिक शासन, उत्तरदायित्व और प्रतिकार की मांग की है। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत ने साल 2003 में अपदस्थ राष्ट्रपति ओमर अल बशीर पर दाफूर में युद्ध अपराध का आयोजन और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगाए थे।
गुरूवार को प्रदर्शन के दौरान दाफूर की महिला ने कहा कि “हमारे ऊपर बमबारी करने के किसने आदेश दिए थे। हम उन्हें न्याय के कठघरे में देखना चाहते हैं।” वे और अन्य प्रदर्शनकारी सैन्य परिषद् को बशीर की सरकार के भाग के तौर पर ही देख रहे हैं। बशीर ने सत्ता पर 30 साल तक शासन किया था।
सूडान के सैन्य मुख्यालय के बाहर सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए थे जबकि शुरुआत में मिस्र के दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया गया था। मंगलवार को मिस्र के नेतृत्व में अफ्रीकी नेताओं के साथ एक आपात बैठक का आयोजन किया गया था और इसमें सैन्य परिषद् को तीन महीनो में लोकतान्त्रिक हस्तांतरण के उपायों को लागू करने का आग्रह किया था।
गुरूवार को रात्रि में गठबंधन के नेताओं और सैन्य परिषद् की बैठक हुई थी और इसके बाद प्रदर्शन का नया दौर शुरू हो गया था।
प्रेस कांफ्रेंस में सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल शमसद्दीन काब्बाशी ने कहा कि “अधिकतर मांगो पर दोनों पक्ष समझौते पर पंहुच गए हैं। विवादों को सुलझाने के लिए एक जॉइंट कमिटी का गठन किया जायेगा।”
सूडानी प्रोफेशनल एसोसिएशन ने कहा कि “यह मुलाकात भरोसा बढ़ाने की तरफ एक कदम है। हालाँकि प्रदर्शनकारियों के नेता ने तीन सैन्य अधिकारीयों की इस्तीफे की बात पर सार्वजानिक तौर पर टिप्पणी नहीं की थी।” इसके बावजूद परिषद् में कुछ विवादित लोग शेष है जैसे मोहमद हमदान डागलो है। यह जंजवीद सेना के कमांडर थे जिन्हे दाफूर संघर्ष के दौरान नरसंहार का आरोपी ठहराया गया था। इस संघर्ष की शुरुआत साल 2003 में हुई थी।