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    सूडानी प्रदर्शन

    सूडान की हुक्मरान सैन्य परिषद् ने सैन्य शासन की हुकूमत की धारणा को तोड़ते हुए पहला कदम उठाया है और देश में अगले चुनावो तक संयुक्त सैन्य परिषद् के सिद्धांत पर रज़ामंद हो गए हैं। सैन्य परिषद् के प्रवक्ता एल्डिन कबाशी ने कहा कि “बातचीत जारी है और अंतिम परिणाम तक पंहुचने के लिए हम आशावादी है जिसका जल्द ही हम ऐलान सूडान की जनता के समक्ष कर देंगे।”

    मतभेद बरक़रार

    उन्होंने कहा कि “शनिवार की वार्ता अधिक स्वाभाविक और अत्यधिक पारदर्शिता से से शुरू हुई थी।” बहरहाल, शनिवार का निर्णय दोनों पक्षों के लिए पहला कदम है और अभी कई मतभेदों को सुलझाना बाकी है।

    मोहम्मद वॉल ने कहा कि “दोनों पक्षों के बीच अभी भी काफी मतभेद और असहमति बरक़रार है। सेना को परिषद् में 10 सदस्य चाहिए थे। जिसमे तीन नागरिक, सात सेना से हो। विपक्षी चाहते है कि परिषद् 15 सदस्यों की हो जिसमे आठ नागरिक हो और सात लोग सेना से हो।”

    बीते माह सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था और सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। अपदस्थ राष्ट्रपति का देश में 30 वर्षो से शासन था, जो भ्रष्टाचार से पटा पड़ा था और उनके खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। इस प्रदर्शन की शुरुआत ब्रेड की कीमतों में भारी उछाल के साथ ही हुई थी। साथ ही महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी थी।

    सूडान का प्रदर्शन

    बशीर को सत्ता से हटाने के बाद सैन्य परिषद् ने वादा किया कि वह दो सालो के ट्रांज़िशनल पीरियड के बाद के चुनावो का आयोजन करेंगे। सेना के इस कदम का नागरिकों ने विरोध किया और उन्होंने सैन्य हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत की थी।

    प्रदर्शनकारियों ने अफ्रीकन यूनियन के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था जिसमे नागरिक प्रशासन को सत्ता के हस्तांतरण के लिए तीन महीने दिया गया था।

    नेशनल उम्मा पार्टी के प्रमुख सादिक़ अल मेहदी ने कहा कि “सूडान की जनता को अफ्रीकी संघ के सुझावों की जरुरत नहीं है। बीते तीन हफ़्तों में इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न भागो से लोग जुट रहे हैं। सूडान के भविष्य को आकार देने के लिए हम नागरिकों को चाहते हैं सेना को नहीं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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