सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वॉट्सऐप की ओर से नए नियमों से प्राइवेसी के उल्लंघन के आरोपों का जवाब दिया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘सरकार निजता के अधिकार का पूरी तरह से सम्मान करती है। नए नियमों से वॉट्सऐप के सामान्य यूजर्स को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। इन नियमों का मकसद यही है कि किसी हिंसा को जन्म देने वाले एक खास संदेश की शुरुआत किसने की थी।’ नए नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में एक दफ्तर खोलना होगा, जिसमें किसी नोडल अधिकारी की तैनाती होगी और वह सरकार एवं लोगों की चिंताओं को दूर कने का काम करे।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘नए नियमों का मकसद यह है कि किसी भी घृणा फैलाने वाले, भड़काऊ और हिंसक संदेश को प्रसारित करने वाला पहला शख्स कौन था। यह नियम इसलिए हैं ताकि भारत की संप्रभुता, अखंडता, एकता और सुरक्षा को बनाए रखा जा सके।’ आईटी मिनिस्टर ने कहा कि नए नियमों का मकसद सिर्फ इतना ही है कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोका जा सके। सवाल पूछने के अधिकार के तहत सरकार आलोचना को स्वीकार करती है। नए नियमों से सोशल मीडिया के आम यूजर्स के अधिकारों को मजबूती मिलेगी, जो कई बार उपद्रवी तत्वों का शिकार हो जाते हैं और पीड़ित होते हैं।
वॉट्सऐप ने हाई कोर्ट में दी थी नए नियमों के खिलाफ अर्जी
बता दें कि वॉट्सऐप की ओर से बुधवार को भारत सरकार की ओर से लागू नए नियमों का विरोध करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया गया था। वॉट्सऐप का कहना है कि नए नियमों से प्राइवेसी का अंत हो जाएगा। सोशल मीडिया कंपनी का कहना है कि वॉट्सऐप पर चैट के दौरान सारे मेसेज एन्क्रिप्टेड होते हैं और उनका खुलासा करना प्राइवेसी का उल्लंघन करना होगा।
क्या हैं नए नियम
उपयोगकर्त्ताओं की संख्या के आधार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मध्यस्थों को दो समूहों में विभाजित किया गया है: सोशल मीडिया मध्यस्थ और महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ। मध्यवर्ती इकाइयों सहित सोशल मीडिया द्वारा नियमों में सुझाई गई जांँच-पड़ताल का पालन किया जाता तो उन पर सेफ हार्बर प्रावधान लागू नहीं होंगे। सेफ हार्बर प्रावधानों को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत परिभाषित किया गया है।
मध्यस्थों को प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण हेतु एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और इस अधिकारी के नाम व संपर्क विवरण को साझा करना होगा। शिकायत अधिकारी भेजी जाने वाली शिकायत को 24 घंटे के भीतर प्राप्त करेगा तथा प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर इसका समाधान करना होगा। मध्यस्थों को कंटेंट की शिकायत मिलने के 24 घंटों के भीतर उसे हटाना होगा या उस तक पहुंँच को निष्क्रिय करना होगा जो किसी व्यक्ति की निजता को उजागर करते हों, किसी व्यक्ति को पूर्ण या आंशिक रूप से निर्वस्त्र या यौन क्रिया में दिखाते हों या बदली गई छवियों सहित छद्मरूप में दिखाते हों। ऐसी शिकायत या तो किसी व्यक्ति द्वारा या उसकी तरफ से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई जा सकती है।
नए नियमों के अनुसार, मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक नोडल संपर्क व्यक्ति और एक रेज़ीडेंट शिकायत अधिकारी को नियुक्त करने की आवश्यकता है तथा नियुक्त किये जाने वाले सभी व्यक्ति भारत के निवासी होने चाहिये। एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित किये जाने की आवश्यकता है जिसमें प्राप्त शिकायतों का विवरण और शिकायतों पर की गई कार्रवाई का विवरण हो, साथ ही हटाई गई सामग्रियों का विवरण भी उल्लेखित हो।संदेश भेजने की प्रकृति में मुख्य रूप से सेवाएँ प्रदान करने वाले महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों को सूचना देने से पहले प्रवर्तक की पहचान को सत्यापित करना होगा। यह भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित अपराधों की रोकथाम एवं उनका पता लगाने, जांँच, अभियोजन या सज़ा के प्रयोजन हेतु आवश्यक है।
गैर-कानूनी सूचना को हटाना
अदालत के आदेश के रूप में या अधिकृत अधिकारी के माध्यम से एक उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा अधिसूचित वास्तविक जानकारी मिलने पर मध्यस्थों द्वारा पोषित या ऐसी किसी जानकारी का प्रकाशन नहीं किया जाना चाहिये जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक आदेश, दूसरे देशों के साथ मित्रवत संबंधों आदि के हित में किसी कानून के तहत निषेध हो।
नियमों के अनुसार, ओटीटी प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन चयनित सामग्री का प्रकाशक कहा जाता है, इस सामग्री को पाँच आयु आधारित श्रेणियों- यू (यूनिवर्सल), यू/ए 7+, यू/ए 13+, यू/ए 16+ और ए (वयस्क) में वर्गीकृत किया जाएगा।
यू/ए 13+ या उससे ऊपर की श्रेणी के लिये ओटीटी प्लेटफॉर्म पर पैरेंटल लॉक का फीचर देना होगा और ए श्रेणी के कंटेंट के लिये आयु को वेरिफाई करने का बेहतर मैकेनिज़्म तैयार करना होगा। ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के प्रकाशक को हर कंटेंट या कार्यक्रम के साथ कंटेंट विवरणी में प्रमुखता से वर्गीकृत रेटिंग का उल्लेख करते हुए उपयोगकर्त्ता को कंटेंट की प्रकृति बतानी होगी और हर कार्यक्रम की शुरुआत में दर्शक विवरणी प्रस्तुत कर कार्यक्रम देखने से पहले दर्शक को सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम बनाना होगा।
समाचार प्रशासकों को डिजिटल मीडिया पर ‘भारतीय प्रेस परिषद’ के पत्रकारिता आचरण मानदंड और ‘केबल टेलीविज़न नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995’ के तहत कार्यक्रमों पर नज़र रखनी होगी, ताकि ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया को एक समान वातावरण में उपलब्ध कराया जा सके।
नियमों के तहत स्व-विनियमन के विभिन्न स्तरों के साथ एक तीन स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है: प्रकाशकों द्वारा स्व-विनियमन, प्रकाशकों की स्व-विनियमित संस्थाओं का स्व-विनियमन और निगरानी तंत्र।
प्रकाशक को भारत में एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो प्राप्त शिकायतों के समाधान के लिये जवाबदेह होगा। यह अधिकारी स्वयं द्वारा प्राप्त हर शिकायत पर 15 दिन के भीतर निर्णय लेगा। प्रकाशकों की एक या ज़्यादा स्व-विनियामकीय संस्थाएँ हो सकती हैं। ऐसी संस्था की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय का एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र प्रतिष्ठित व्यक्ति करेगा, जिसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे। इस संस्था को सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा। यह संस्था प्रकाशक द्वारा पालन किये जा रहे आचार संहिता संबंधी नियमों की निगरानी करेगी और उन शिकायतों का समाधान करेगी, जिनका प्रकाशक द्वारा 15 दिन के भीतर समाधान नहीं किया गया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक निगरानी तंत्र विकसित करेगा। यह आचार संहिताओं सहित स्व-विनियमित संस्थाओं हेतु एक चार्टर का प्रकाशन करेगा। यह शिकायतों की सुनवाई के लिये एक अंतर विभागीय समिति का गठन करेगा।