नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| इस वर्ष मॉनसून पूर्व का यह मौसम 65 सालों में दूसरा सबसे सूखाग्रस्त मौसम है। बारिश की कुल कमी 25 प्रतिशत दर्ज की गई है।
मौसम अनुमान जाहिर करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने कहा कि 31 मई को समाप्त हुए मॉनसून पूर्व के तीन महीनों में देश में 99 प्रतिशत बारिश हुई है।
देश के सभी चार क्षेत्रों -उत्तर पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत और साथ ही दक्षिण प्रायद्वीप में क्रमश: 30 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 14 प्रतिशत और 47 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
स्काईमेट ने कहा, “पिछले 65 सालों में यह दूसरा सबसे सूखाग्रस्त मॉनसून पूर्व मौसम रहा है। इसके पहले 2012 में सबसे सूखाग्रस्त मॉनसून पूर्व मौसम था, जब देश भर में कुल 31 प्रतिशत कम बारिश हुई थी।”
स्काईमेट ने कहा, “वास्तव में 2019 में मॉनसून पूर्व बारिश 2009 जितनी हुई है। उस साल भी इसी तरह बारिश हुई थी, और वह 25 प्रतिशत कम थी।”
एजेंसी ने यह भी कहा है कि 2009 और 2019 के बीच समानता है, क्योंकि “ये साल एल नीनो से प्रभावित रहे हैं। इसलिए बारिश का पैटर्न भी एक जैसा रहा है।”
एल नीनो प्रशांत महासागर के ऊपर समुद्र की सतह पर तापमान की एक स्थिति है, जिसका भारतीय मॉसून पर कथित तौर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
स्काईमेट ने इस साल मॉनसून के प्रदर्शन को लेकर चिंता जाहिर की है, और कहा है कि केवल एल नीनो की उपस्थिति इसे प्रभावित कर सकती है।
एजेंसी ने कहा, “हमने 2009 में हल्का एल नीनो देखा था, और नीनो 3.4 सूचकांक 0.5 डिग्री सेल्सियस और 0.7 डिग्री सेल्सियस के बीच ऊपर-नीचे हो रहा था। हालांकि इसके परिणामस्वरूप गंभीर सूखा पड़ा और बारिश की कमी 22 प्रतिशत थी।”
स्काईमेट ने कहा, “2019 आते-आते प्रशांत महासागर में अत्यधिक तपन रहा है और निनो 3.4 सूचकांक अबतक 0.7 डिग्री सेल्सियस से 0.9 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है। यह मॉनसून मौसम को पहले से प्रभावित कर रहा है, और हम जून के प्रारंभ के दौरान सामान्य से कम से कम 23 प्रतिशत कम बारिश की अपेक्षा करते हैं।”
स्काईमेट ने इस साल सामान्य से कम बारिश का अनुमान जाहिर किया है, जो दीर्घकालिक औसत 887 मिलीमीटर का 93 प्रतिशत होगा।