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    क़तर में फंसी भारतीय महिला

    हैदराबादी युवती को क़तर में नौकरी का प्रलोभन देकर में खाड़ी देश ले जाया गया था और उन्हें अब सुरक्षित वापस मुल्क लाया जा चुका है। एएनआई से बातचीत करते हुए सईदा मरियम ने कहा कि “उन्हें क़तर में नर्स की नौकरी का प्रस्ताव दिया था। एक एजेंट फातिमा ने प्रतिमाह 40000 रूपए तनख्वाह का प्रस्ताव दिया था।”

    उन्होंने कहा कि ” शुरुआत में मेरा परिवार कुछ वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा था इसलिए मैंने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था और 11 अप्रैल को मैं क़तर के लिए रवाना हो गयी थी। क़तर में लैंड होने के बाद मुझे एक दूसरी एजेंट ने रिसीव किया जिनका नाम फातिमा था और वह मुझे एक दफ्तर में ले गयी जहां एक और एजेंट गोपाल मौजूद था। गोपाल ने मुझसे मेरा फ़ोन छीन लिया और चार दिनों तक मुझे दफ्तर में ही बंद करके रखा था।”

    सईदा मरियम ने कहा था कि नर्स की नौकरी के प्रस्ताव के बावजूद वह मुझे शेख के निवास स्थान पर घर के कामकाज के लिए ले गयी थी। निर्देशों को मानने से इंकार करने के बाद वहां की मालकिन मुझे भारतीय दूतावास में ले गयी और वहां छोड़ दिया था।

    उन्होंने कहा कि “दूतावास के अधिकारीयों ने गोपाल को बुलाया था जो मेरे आलावा तीन अन्य मामलो में शामिल था। उसे स्थानीय विभाग ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद फातिमा मुझे वहां से ले गयी और मुझे बहुत प्रताड़ित किया था उसने कहा कई मुझे पांच सालो तक क़तर में ही रहना होगा नहीं तो मेरे परिवार को मुझे वापस भारत बुलाने के लिए दो लाख रूपए देने होंगे।”

    क़तर में अपने हालातो के बाबत सईद मरियम ने अपनी अम्मी को इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि”मेरी माँ ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एक पत्र के जरिये शिकायत की जिस पर भारतीय दूतावास ने प्रतिक्रिया दी और तत्काल मेरे एजेंट से मुझे जल्द से जल्द वापस भारत भेजने के लिए कहा था।”

    उन्होंने कहा कि “मुझे बचाने के लिए में सुषमा स्वराज और क़तर में भारतीय दूतावास का शुक्रिया ऐडा करना चाहूंगी।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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