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    सुषमा स्वराज और इब्राहिम सोलीह

    भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मार्च में मालदीव की दो दिवसीय यात्रा की ताकि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को अधिक मज़बूती प्रदान की जा सके।

    मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह के शपथ ग्रहण समारोह में बीते साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। इसके बाद इब्राहिम सोलीह ने भारत की यात्रा की थी। उस दौरान हुए आर्थिक प्रतिबद्धताओं का पालन करने के लिए सुषमा स्वराज ने माले की यात्रा की थी।

    भारत और मालदीव की दोस्ती

    भारत की विदेश मन्त्री सुषमा स्वराज और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद

    सोलिह सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही आमंत्रित किया गया था। शुरुआत में भारत ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के निरंकुश शासन से मेल को आज़ाद कर मालदीव में लोकतंत्र की वापसी की राजनीतिक प्रतिबद्धता को निभाया था। अब्दुल्ला यामीन अभी धनशोधन के आरोपों में कारावास की सज़ा काट रहे हैं।

    सुषमा स्वराज की यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते की महत्वता को दर्शाती है। सुषमा स्वराज इस वर्ष चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन भाजपा के लिए वह लोकसभा चुनावों में स्टार प्रचारक है।

    मेल की यात्रा में सुषमा स्वराज के साथ विदेश सचिव विजय गोखले सहित कई अधिकारीयों का प्रतिनिधि समूह गया है। परियोजनाओं की शुरूआती कागजी कार्रवाई खत्म हो चुकी है। इसमें मेल बंदरगाह को थिलाफुसी द्वीप में विस्थापित करने और 30 द्वीपों में जल और जलनिकास ढाँचे के निर्माण का प्रोजेक्ट भी शामिल है।

    भारत की परियोजना

    द्वीपों और टापुओं के बेच हवाई कनेक्टिविटी के बावजूद, द्वीपों के निवासियों के लिए समुंद्री कनेक्टिविटी एक समस्या बन रखी है। माले शहर में 400000 लोगों का निवास है और दक्षिण एशिया में सबसे अधिक जनसँख्या वाली राजधानी थी, लेकिन परिवारों के टूटने, तलाक, बच्चो का अनाथ होना, ड्रग्स का आदि होना और नुक्कड़ गैंग के बढ़ने के कारण सब उथल-पुथल हो गया। यहां वैश्विक अध्ययन, सहायता और सहयोग निरंतर और दृढ नहीं रहा और दशकों और सालों तक यहां के निवासी फायदे से वंचित रहे।

    जलवायु परिवर्तन की चिंता भी मालदीव के लिए चिंता का विश्व है, राष्ट्र के द्वीपों का जल सिकुड़ता जा रहा  समुन्द्र का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। बढ़ती जनसँख्या और जलवायु परिवर्तन की चिंता घरेलू राजनीति का भी हिस्सा बन गयी।

    दिसंबर में राष्ट्रपति सोलीह की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने स्पष्ट किया कि यामीन के कार्यकाल में लिए गए कर्ज की भरपाई भारत की 1.4 अरब डॉलर की रकम से चुकता नहीं होगी। न सिर्फ प्रत्यक्ष और वित्तीय तौर पर बल्कि भारत ने कूटनीति और राजनीति के मोर्चे पर भी बखूबी सहयोग किया है।

    सुषमा स्वराज की यात्रा के दौरान मालदीव के अधिकारीयों ने दोहराया कि वह अभी भी पुराने रिकॉर्ड को खंगाल रहे हैं, ताकि यामीन के कार्यकाल में चीन से लिए उधार का मालूम हो सके। चीन को इस अदाएगी को मालदीव रोक भी नहीं सकता है।

    भारत विरोधी प्रदर्शन

    सुषमा स्वराज ने माले की यात्रा कई समारोह पर की है और सुषमा स्वराज ने अपने पांच साल के कार्यकाल में मालदीव के तीन विदेश मंत्रियों का इस्तकबाल किया है। इस यात्रा पर सुषमा स्वराज ने अपने समकक्षी अब्दुल्ला शाहिद, संसद के अध्यक्ष गसिम इब्राहिम और गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला से मुलाकात की थी। साथ ही विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति सोलीह और पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद से मुलाकात की थी। मालदीव के लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय चेहरा मोहम्मद नशीद है।

    सुषमा स्वराज की यात्रा के ऐलान के बाद विपक्षी पार्टी के पूर्व गृह मंत्री उमर नशीर ने भारत विरोधी प्रदर्शन का आवाहन  किया था और माले से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग की थी। भारत द्वारा दिए गए दो विमानों के इस्तेमाल के लिए भारतीय नौसेना के सैनिक मालदीव के सैनिकों को प्रशिक्षण व सहायता मुहैया कर रहे हैं।

    इस प्रदर्शन के लिए माले सिटी विभाग ने इजाजत देने से इंकार कर दिया था। साल 2008 में राष्ट्रपति चुनाव हरने वाले नसीर साल 2024 में वापस चुनाव लड़ने की फ़िराक में है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन को रद्द करना यह प्रदर्शित करता है कि माले सरकार भारत से आदेश ले रही है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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