Mon. Dec 23rd, 2024

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि पेगासस जासूसी मामले में “सच्चाई सामने आनी चाहिए।” भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा नागरिकों, पत्रकारों, मंत्रियों, सांसदों और कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए इज़राइल आधारित तकनीक का उपयोग करने के आरोप “निस्संदेह गंभीर” हैं, बशर्ते समाचार रिपोर्ट सही हों।

    पीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अपनी याचिकाओं की प्रतियां भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल के कार्यालयों को भेजें। इन याचिकाकर्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास और पांच पत्रकार (जिन्हें पेगासस स्पाइवेयर द्वारा निशाना बनाए जाने की सूचना है) शामिल हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष तिवारी द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी एक याचिका दायर की है।

    मामले को 10 अगस्त के लिए सूचीबद्ध करते हुए, पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि अगली सुनवाई में अदालत में सरकार का भी प्रतिनिधित्व हो। मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा “किसी को सरकार के लिए पेश होना चाहिए।”

    कोर्ट ने सरकार को औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया। अदालत की अनिच्छा का एक हिस्सा अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा एक याचिका जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को निजी पक्ष बताया गया है।

    सीजेआई ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने पेगासस से परे अन्य मुद्दों पर अपनी याचिकाओं के दायरे का विस्तार किया है, जिसमें टेलीग्राफ अधिनियम के तहत अधिकृत अवरोधन पर एक चुनौती भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘इन याचिकाओं में कई समस्याएं निहित हैं और हमें देखना होगा कि हमें किन याचिकाओं पर नोटिस जारी करना है। कुछ लोगों ने टेलीग्राफ अधिनियम को भी चुनौती दी है और ये अनावश्यक जटिलताएं हैं।’

    बेंच के सवालों की बौछार के साथ याचिकाओं की सुनवाई शुरू हुई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह “ज़्यादातर” याचिकायें विदेशी समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर आधारित हैं। अदालत ने पूछा कि क्या कोई अन्य “सत्यापन योग्य सामग्री” थी जिसके आधार पर वह पेगासस के आरोपों की जांच का आदेश दे सकते हैं।

    साथ ही उन्होंने कहा कि पेगासस निगरानी के बारे में सवाल दो साल पहले सामने आए थे। उन्होंने पुछा कि, “आप अब अचानक क्यों आ गए? आप दो साल से क्या कर रहे थे?” आगे अदालत ने पूछा कि “लक्ष्यों” ने आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने पुछा कि, “अगर आपको पता था कि आपका फोन हैक हो गया है, तो आपने आपराधिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई?”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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