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    सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कोरोना महामारी केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से टेस्टिंग, ऑक्सीजन व वैक्सीनेशन को लेकर उठाए गए कदमों से जुड़े सवाल तो किए ही साथ ही सोशल मीडिया पर दर्द बयां कर रहे लोगों व डॉक्टर व नर्स का भी मुद्दा उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘लगातार सेवा दे रहे डॉक्टर और नर्स बहुत बुरी स्थिति में हैं। चाहे प्राइवेट हो या सरकारी अस्पताल उन्हें उचित आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। अंतिम वर्ष के 25,000 मेडिकल छात्र और 2 लाख नर्सिंग छात्रों की भी मदद लेने पर विचार होना चाहिए।’

    सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराता है, तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है। अगर कार्रवाई के लिए ऐसी शिकायतों पर विचार किया जाता है तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।

    वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि केंद्र सरकार 100 फीसदी टीकों की खरीद क्यों नहीं करती। इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल पर राज्यों को वितरित क्यों करती ताकि वैक्सीन की दामों में अंतर न रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिरकार यह देश के नागरिकों के लिए है।

    इसके अलवा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे सामने कुछ ऐसी भी याचिकाएं दायर की गई हैं, जो गंभीर रूप से स्थानीय मुद्दो को उठाती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मुद्दों को उच्च न्यायालय में उठाया जाना चाहिए। वही पीठ ने सवाल किया कि अनपढ़ या जिनके पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है, वे कैसे वैक्सीन लगवाएंगे। कोर्ट ने कहा, ‘सरकार राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान पर विचार करे। सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीनेशन की सुविधा दी जाए। यह वैक्सीन निर्माता कंपनी पर नहीं छोड़ा जा सकता कि वह किस राज्य को कितनी वैक्सीन उपलब्ध करवाए। यह केंद्र के नियंत्रण में होना चाहिए।’

    केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि हर महीने एक करोड़ से अधिक रेमडेसिविर उत्पादन की क्षमता है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए रोते हुए सुना है। राजधानी दिल्ली में ऑक्सिजन नहीं है। गुजरात, महाराष्ट्र में भी ऐसा है।

    इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 10,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दैनिक आधार पर उपलब्ध है। ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। लेकिन कुछ राज्यों द्वारा कम ऑक्सीजन लेने के कारण कुछ क्षेत्रों में उपलब्धता कम हो जाती है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों पर कितना निवेश किया और कितनी अग्रिम राशि दी? यही नहीं केंद्र को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या केंद्र सरकार मरीजों के लिए अस्पतालों में दाखिले पर कोई राष्ट्रीय नीति बना रहा है? क्या मूल्य निर्धारण को विनियमित किया जा रहा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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