सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोकपाल जाँच समिति को अपना विचार-विमर्श पूरा करके लोकपाल के चयन के लिए कुछ नामों को 28 फरवरी तक देने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी सिफारिशें जमा करने के लिए कहा है। कोर्ट ने ये भी कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए याचिका की सुनवाई 7 मार्च को होगी।
कोर्ट ने केंद्र को भी जांच समिति के लिए सभी आवश्यक अवसंरचना पेश करने का आदेश दिया है।
वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वे देसाई की अध्यक्षता वाली समिति को आदेश दे ताकि वे हर विचार और जाँच समिति को जमा करने वाले नाम की सार्वजानिक रिपोर्ट बनाये। इसपर कोर्ट ने जवाब दिया कि जैसे ही 7 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान जाँच समिति नाम देंगी, वैसे ही वे भूषण को दे देंगे।
जब भूषण इस बात पर कायम रहे कि जांच समिति स्वयं के नियमों का मसौदा तैयार कर सकता है ताकि पारदर्शिता पर जोर दिया जा सके तो सीजेआई गोगोई ने कहा कि वे सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति पर क्यों शक करें?
मगर जब भूषण फिर भी पारदर्शिता पर शक कर रहे थे तो सीजेआई गोगोई ने कहा-“श्री भूषण हमेशा चीज़ो को नकारात्मक नजरों से ही मत देखा कीजिये। कृपया चीज़ों को सकारात्मक नज़रों से देखना शुरू कीजिये। ये दुनिया रहने के लिए और बेहतर जगह बन जाएगी।”
भूषण मान तो गए मगर जब उन्होंने फिर से तर्क को झुठलाने का प्रयास किया तो गोगोई ने कहा-“लगता है जो देश में चल रहा है, आपको वे सब पता है। हम न्यायाधीशों को ज्यादा चीज़ें नहीं पता है।”