सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकार के लिए अहम फैसला सुनाया है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन करते हुए केन्द्र सरकार ने पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हक देने की व्यवस्था की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले मे कहा है कि यह कानून साल 2005 से पहले जन्मी महिलाओं पर भी समान रूप से प्रभावी होगा।
अब हर महिला को पुरष के बराबर ही पैतृक संपत्तियों में बराबर का हक मिलेगा। एक फैसले में पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह स्पष्ट कर दिया कि साल 2005 से पहले पैदा हुई महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार है।
न्यायमूर्ति एके सिकरी व अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि साल 2005 से पहले दायर किए गए संपत्ति विवादों में भी महिला को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि बेटी के जन्म से ही उसके अधिकार व दायित्व बेटे के समान ही होंगे।
संयुक्त हिंदू परिवार से जुड़ा कानून मिताक्षरा कानून से संचालित होता है जिसमें काफी बदलाव हुआ है। यह बदलाव नजदीकी पारिवारिक सदस्यों विशेषकर बेटियों को समान अधिकार देने की बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
दो बहनों ने दायर की थी पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने की याचिका
साल 2002 में दायर की गई दो बहनों की याचिका के ऊपर ही सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जारी किया है। दो बहनों को उनके भाई ने पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इंकार कर दिया था। इस पर ट्रायल कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि साल 2005 से पहले जन्मी महिला होने से उनका संपत्ति में हक नहीं है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को ठुकरा दिया था। अब इसे सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए कहा कि साल 2005 से पहले जन्मी बेटी को भी पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी का अधिकार होगा।