त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले का विरोध करते हुए कुछ अलग ही बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि लोग हिन्दुओ के चिता जलाने पर भी रोक लगा सकते है। सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले को त्रिपुरा के राज्यपाल ने साम्प्रदायिकता से जोड़कर देखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दिवाली पर होने वाली पठाखो की बिक्री पर रोक लगा दी है, इस मामले को लेकर कई तरह की बाते की जा रही है, जहां एक तरफ इस कदम को पर्यावरण के लिए अच्छा बताया जा रहा है वहीं कुछ लोग इसे धार्मिक नज़रिये से देख रहे है। त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आगे शायद हिन्दुओ के चिता जलाने पर भी याचिका सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
त्रिपुरा के राज्यपाल और पूर्व बीजेपी नेता ट्वीट करते हुए कहा कि कभी दही हांड़ी, आज पटाखा, कल हो सकता है प्रदुषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिन्दुओ की चिता जलने पर भी याचिका डाल दे।
कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओ की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे !
— Tathagata Roy (@tathagata2) October 10, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवम्बर में लगाया पाठको पर प्रतिबंध इस साल भी कायम रखा है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बैन 1 नवम्बर तक जारी रहेगा।
दिल्ली के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी पुरे महाराष्ट्र के रिहायशी इलाको में पठाखो पर प्रतिबंध लगा दिया है, हाईकोर्ट ने यह आदेश पठाखे चलाने के खिलाफ नहीं दिया, बल्कि पठाखो की बिक्री पर रोक लगाई गयी है।
इस मामले में चेतन भगत ने भी कई ट्वीट किये, उन्होंने इस मामले को सांप्रदायिक रूप देकर देखा, उन्होंने कहा कि ये केवल पठाखो पर ही बैन है बकरा ईद पर क्यों नहीं करते बैन।
Can I just ask on cracker ban. Why only guts to do this for Hindu festivals? Banning goat sacrifice and Muharram bloodshed soon too?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
इस पर लोगो ने चेतन भगत को अच्छे से इस मामले में सुझाव दे दिए हैं,
Your examples of practices integral to those observances; banning them would be like banning lamps onDiwali. Firecrackers are unholy add-ons
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 9, 2017
https://twitter.com/autumnrainwish/status/917272332032282624
“What’s Diwali for children without crackers?”
A Diwali when they can breathe.
— Harpreet Singh (@Harry_Jerry) October 9, 2017