सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को दो सप्ताह के भीतर लोकपाल नियुक्त करने के लिए उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी के लिए निर्धारित की गई है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एस के कौल की सदस्यता वाली पीठ ने अटॉर्नी-जनरल के के वेणुगोपाल को 2018 सितम्बर में दिए गए आदेश से लेकर अब तक उठाये गए कदमों पर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। पीठ के मुताबिक, “आपको हलफनामे में लोकपाल नियुक्त करने के लिए जाँच कमिटी के गठन के लिए उठाये गए कदमों को सुनिश्चित करना होगा।”
जब अटॉर्नी-जनरल ने कहा कि जबसे लेकर अभी तक उन्होंने काफी सारे कदम उठाये हैं तो पीठ ने उनसे सवाल किया कि “तुम सब ने अभी तक क्या क्या किया है। कितना वक़्त गुज़र चुका है।”
जब अटॉर्नी-जनरल ने दोहराया कि उन्होंने कई सारे कदम लिए हैं तो पीठ ने तुरंत ही उन्हें उठाये गए कदमों का हलफनामा दायर करने का आदेश दे डाला।
एनजीओ कॉमन कॉज के लिए उपस्थित हुए वकील प्रशांत भूषण जो लोकपाल के मुद्दे को आगे बढ़ा रहे हैं, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी वेबसाइट पर जांच कमिटी में जनता को सदस्य तक नहीं बनाया है।
सरकार ने पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया है। समिति के अन्य सदस्य हैं: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के चेयरपर्सन ए सूर्य प्रकाश, इसरो के पूर्व प्रमुख किरण कुमार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सखा राम सिंह यादव, गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख शब्बीरुसिं एस खंडवाला, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी (राजस्थान कैडर) ललित के पंवार, और पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार।
इस दौरान, सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे ने 30 जनवरी से भूख हड़ताल पर बैठने की धमकी दी है। उन्होंने ऐसा लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत केंद्र के लोकपाल ना नियुक्त कर पाने की विफलता के कारण कहा है। उन्होंने आगे दावा किया कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनसे वादा किया था कि वे जल्द कोई कदम उठाएंगे इसलिए वे इतने दिनों से शांत थे मगर उनके झूठे वादों पर यकीन करना उनकी सबसे बड़ी भूल थी।