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    सुप्रीम कोर्ट:

    भारतीय राजनीति का अपराधों से और अपराधों का भारतीय राजनीति से गहरा नाता रहा है। यहां हर अपराधी को राजनितिक संरक्षण प्राप्त है। राजनेताओं का अपराधों से कुछ ऐसा रिश्ता है कि या तो वो अपराधियों के सहारे सत्ता में जमे हुए है या खुद खादीधारी के रूप में अपराध जगत के बहुत बड़े बाहुबली है।

    राजनेताओं का क्रिमिनल बैकग्राउंड से होना कोई बड़ी बात नहीं है। भारत के हर राज्य में और हर पार्टी में ऐसे नेताओं की भरमार है जो आपराधिक पृष्ठभूमि से आते है। इनमे से बहुत से नेता तो भी ऐसे है जिनपर हत्या, डकैती और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप है। चुनाव होते ही अपराध और राजनीति का मुद्दा सबके जुबान पर आ जाता है, आपराधिक दोषी होते हुए किसी के पास सत्ता होना चाहिए या नहीं, यह भी एक वाद विवाद का प्रश्न है।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस वाद विवाद को खत्म करते हुए आपराधिक मामलों में दोषी राजनेताओं को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी मात्र इस आधार पर पार्टी प्रमुख बनने से नहीं रोका जा सकता क्यूंकि वो राजनेता आपराधिक दोषी है।

    दोषी वयक्ति को भी राजनीतिक विचार रखने का है अधिकार

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में कोर्ट की दखलंदाजी सही नहीं है। आपराधिक दोषी लोगों को राहत देते हुए कोर्ट ने टिपण्णी किया है कि “इस मामले में फैसला खुद राजनीतिक दलों,और संसद को लेना चाहिए, कोर्ट द्वारा किसी को राजनीति में जाने से रोकना नागरिकों के राजनीतिक अधिकारों का हनन है “

    चुनाव आयोग कर सकती है आपराधिक गतिविधियों में लिप्त राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द

    कोर्ट हालंकि यह भी मानती है कि राजनीति को अपराधों से मुक्त रखा जाना चाहिए और इसके लिए चुनाव आयोग को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि “अगर कोई पार्टी लगातार आपराधिक गतिविधिओं में लिप्त पाई जाती है या राजनीतिक हितों को साधने के लिए अपराधों का सहारा लेती है तो चुनाव आयोग उसकी मान्यता रद्द करने का अधिकार है”

    सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर लोगों की प्रतिक्रियाए आनी तेज हो गयी है। लोग पूछने लगे है कि क्या गंभीर अपराधियों को सत्ता में आने का अधिकार होना चाहिए। बता दे कि किसी समय में विधानसभा आपराधिक राजनेताओं को आसरा देने के लिए बदनाम थी लेकिन अब लोकसभा भी अपराधियों से वंचित नहीं रही है।

    इस समय भारत में कई राजनेताओं पर संगीन अपराधों के आरोप सिद्ध हो चुके है। जिसमे लालू प्रसाद यादव, ओमप्रकाश चौटाला, और शशिकला जैसे नेताओं के नाम सबसे प्रमुख है।

    2014 के आम चुनाव में तो भारतीय संसद के लिए निर्वाचित होने वाले राजनेताओं की बड़ी संख्या संगीन अपराधों की दोषी पाई गयी थी। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय संसद में हर तीसरे नए चुने हुए सांसद का रिकॉर्ड आपराधिक था।