दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी को सीलिंग केस मे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई लेकिन राहत देने से पहले कोर्ट ने तिवारी को अच्छे से फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा कि ये सच है कि तिवारी ने कानून अपने हाथ मे लिया है। तिवारी के बर्ताव से हमे दुख पहुंचा है क्योंकि चुने हुये जनप्रतिनिधि से समझदारी भरे फैसले कि उम्मीद होती है लेकिन तिवारी ने अपने बर्ताव से हमे निराश किया।
हालांकि उनके खिलाफ कोर्ट के अवमानना का कोई सबूत नहीं मिला है इसलिए हम सबकुछ उनकी पार्टी बीजेपी पर छोड़ते हैं कि वो अपने नेता के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। कोर्ट ने 30 अक्टूबर तक फैसले को सुरक्षित रख लिया।
मनोज तिवारी ने पूर्वोत्तर दिल्ली के गोकुलपुर में पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा सील किए गए एक घर का ताला तोड़ दिया था। इस घर में एक अवैध डेयरी चलाया जा रहा था। तब तिवारी ने सील तोड़ने की घटना को सही ठहराते हुए कहा था कि वहां 1,000 अन्य घर भी थे लेकिन अधिकारियों ने केवल एक घर को सील कर दिया था।
कोर्ट ने मनोज तिवारी से कहा कि आपने कहा था कि एक हजार जगहों पर सीलिंग नहीं हुई तो आप हमें उन जगहों की लिस्ट दीजिये और हम आपको सीलिंग अधिकारी बना देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 की निरिक्षण समिति को दिल्ली में अवैध निर्माण की पहचान करने और उन्हें सील करने का आदेश दिया था जिसके बाद पूर्वोत्तर दिल्ली नगर निगम ने सीलिंग अभियान चलाया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर के जे राव (पूर्व चुनाव आयोग सलाहकार), भूरेलाल (पर्यावरण प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन) और रिटायर मेजर जनरल सोम झिंगम के नेतृत्व में 2006 में एक निरिक्षीण समिति का गठन किया गया था।