सीरिया के आला विद्रोही कमांडर ने गुरूवार को कहा कि “मोस्को की सरकार ने हालिया दिनों में रुसी विशेष सेना की तैनाती की है, इसके साथ सीरिया की सेना भी हैं और वे राष्ट्र के उत्तर पश्चिमी इलाके में दो महीनो की बमबारी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि विद्रोहियों के आखिरी गढ़ को भी छीन लिया जाए।”
रूस और सीरिया का सैन्य अभियान
रायटर्स की न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य अभियानों को पीछे से रूस की सैनिक और अधिकारी निर्देश दे रहे हैं। वे फायरिंग एंटी टैंक मिसाइल और हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह पहली बार है जब मोस्को ने जमीनी सैनिको को सीरिया के अभियान के लिए युद्ध क्षेत्र भेजा है।
तुर्की समर्थित नेशनल लिब्रेशन फ्रंट विद्रोही गठबंधन के प्रवक्ता कैप्टेन नाजी मुस्तफा ने कहा कि “यह विशेष रुसी सिअनिक अब युद्ध क्षेत्र में मौजूद है। अब रूस सीधे तौर पर दखलंदाज़ी कर रहा है। जब अल असद की सेना सफल होने में नाकाम रही तब रस ने सीधे तौर पर दखल देना शुरू कर दिया।”
उत्तर हमा में विवादित हुमुयमत हिलटॉप को पर नियंत्रण करने के लिए रूस की थल ताकत ने सरकार के साथ लड़ाई में सहयोग की किया था। यह एक सप्ताह पहले आन्दोलनकारियों के हाथो में पड़ गया था, सैन्य संघर्ष के बाद इस पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया था।
रूस की सेना ने सीरिया में दखलंदाज़ी साल 2015 में की थी और रुसी सैन्य अभियान से मोस्को को कोई फायदा नहीं हुआ है। मुस्ताफ़ा ने कहा कि “रूस न सिर्फ विफल हुआ है बल्कि उसकी हार का भी खुलासा हुआ है।”
सीरिया के प्रमुख विद्रोही समूह के मुखिया ने रूस के थल सैनिको की तैनाती का दावा किया है। इस सेना को टाइगर सेना कहते हैं। यह कोई सार्थक क्षेत्रीय लाभ हासिल करने में सक्षम नहीं है।
जैश अल इज्जा विद्रोही समूह के प्रमुख जमील अल सालेह ने कहा कि “सीरिया की सेना खुद को संकट में देख रही है और मजबूरन उन्हें रूस की सेना को युद्ध क्षेत्र में तैनात होने के लिए कहना पड़ा है। तोपों और हवाई बमबारी के बाद रूस और सरकार ने विशाल इलाकों पर कब्ज़ा करने के इरादे बनाये थे।”