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    सीरिया में फैलता त्वचा रोग

    सीरिया के उत्तरी भाग के रका प्रान्त में सैकड़ो लोग लेषमानिआसिस यानी एक त्वचा रोग जो बड़मक्खी के सम्पर्क में आने से होती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह बीमारी सीरिया के लिए खतरा है लेकिन आठ वर्षों के गृहयुद्ध के दौरान यह अधिक स्थानों पर फ़ैल चुकी है।

    दर्ज़नो बच्चे और वयस्क इलाज की मांग कर रहे हैं। 15 वर्ष का शाज़ा अल ओमर भी अस्पताल में अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा है। उसने कहा कि “मेरे पैर में कुछ हुआ है। मेरे बहन के चेहरे पर 11 जख्म है और भाई की आँख में कुछ हुआ है। वही एक पिता अपनी बच्ची को शांत  करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि बच्ची के चेहरे पर घाव को सूखाने के लिए नर्स इंजेक्शन लगाती है।

    स्ट्रेचर पर बैठी महिला के पाँव में गांव हो रखा है और नर्स उसमे एक के बाद एक इंजेक्शन इंजेक्ट कर देती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सीरिया में साल 2010 से 2018 तक इस बिमारी के मामलो की संख्या दोगुनी यानी 80000 से अधिक हो गई है। इस्लामिक स्टेट को खदेड़ने के लिए उत्तरी और उत्तरीपूर्वी क्षेत्रों में पत्थरबाजी कर रहे हैं।

    कर्मा के स्वास्थ्य केंद्र में 55 वर्षीय वाधा अल जर्राड अपने परिवार के लिए इलाज के बाबत पूछ रही है। वह अपने पति के बारे में कहती है कि यह जब तक घाव पैट खुजली करते रहते हैं जब तक उससे खून नहीं आ जाता। वह खुजली करता है और मैं उसको मना करती हूँ। हम सभी मधुमक्खियों के कारण रात को सो नहीं पाते हैं।”

    लिशमैनियसिस की बीमार आम तौर पर गरीबी, अस्वछ्ता और कुपोषण के कारण होती है। कर्मा के पास घरो के बीच फैले कूड़े पर मंडराते हैं। कर्मा स्वास्थ्य केंद्र के प्रबंधक यूनुस अल नईमी ने बताया कि हमें विगत वर्ष अप्रैल से अब तक शहर और आसपास के गाँवों में लिशमैनियसिस  के 4000 मामले मिले हैं।

    उन्होंने कहा कि “शुष्कता, मार्शेस और खेती की भूमि से जुड़े घरो के कारण यह बिमारी फैली है। साथ ही जागरूकता की कमी ने भी इस भयावह बीमारी को प्रसार किया है। कुछ लोग इससे प्रभावित होने के तुरंत बाद ही अस्पताल आते हैं लेकिन अधिकतर हालात खराब होने और इलाज नामुमकिन होने के बाद ही स्वास्थ्य केन्द्रो पर दस्तक देते हैं। इसका इलाज यह है लेकिन जागरूकता होने बेहद जरुरी है।”

    डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, पिछले साल रक्का प्रान्त में 6800 मामले दर्ज हुए थे लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में इसके आंकड़ों में गिरावट आयी है। वैश्विक संगठन ने मछरदानी वितरित की और बीमारी के इलाज के लिए दवाइयां ,ुहैया की और साथ ही कर्मा और रक्का छह स्वास्थ्य केन्द्रो को सहयोग भी करता है। लेकिन मौसम गर्म होता जा रहा है एयर इसके कारण दोबारा आंकड़ों में इजाफा हो सकता है।

    डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने बताया कि, मधुमक्खियों का प्रजनन तब होता है जब वसंत और गर्मियों में तापमान बढ़ने लगता है। जब तक रोकथाम के उपाय नहीं किये जाते तब रक् इसके बढ़ने की उम्मीद है।” कर्मा के निवासियों के मुताबिक उनके गाँव को उपेक्षित समझा जाता है। वह कचरा उठाने वालो की नियमित शिकायत करते हैं।

    50 वर्षीय हुसैन हामौद ने बताया कि “बीमारी को फैलने से रोकने के लिए किये गए उपाए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सिर्फ एक बार घरो के अंदर कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया था लेकिन इसके बाद कभी नहीं किया गया। किसी परवाह नहीं है अगर होती तो ऐसी लापरवाही नहीं होती।” 26 वर्षीय व्यक्ति कहते हैं कि मेरे पूरे शरीर में 15 जख्म है और मैं अभी भी इलाज करवा रहा हूँ।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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