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    सीरियन संघर्ष

    अमेरिका ने सीरिया की सरकार पर आरोप लगाया कि वह नागरिकों पर रसानायिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। सीरिया ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसे आरोप जारी आतंक रोधी अभियान की प्रगति में बाधा पंहुचाने के लिए लगाए गए है।

    स्पूतनिक न्यूज़ के मुताबिक सीरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “यहाँ कुछ नहीं है लेकिन यह अमेरिका के आदेश मानने वाले पश्चिमी देशो की एक आखिरी नाकाम कोशिश है ताकि इदलिब में उनके आतंकवादी गुलामो पर दबाव कम हो सके और यह वाकई सेना की इस क्षेत्र में तरक्की में देरी करने का निराशाजनक प्रयास है।”

    अमेरिका ने हाल ही में कहा था कि सीरिया की सरकार जवाबी कार्रवाई में रासायनिक हमले को अंजाम दे रही है विशेष इस्लामिक स्टेट उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में। अमेरिका के राज्य विभाग ने कहा कि “हमें संकेत दिख रहे हैं कि असद सरकार ने रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल दोबारा शुरू कर दिया है। 19 मई 2019 को उत्तरी पश्चिमी सीरिया में क्लोरीन हमला किया आया था।”

    सीरिया की सरकार पर इदलिब में नागरिकों पर हमले करने के भी आरोप है। यूएन ने भी मानवीय तबाही के बाबत चेतावनी दी थी। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने विद्रोहियों के आखिरी गढ़ पर अपना नियंत्रण करना चाहते हैं। साल 2011 में सीरिया में बहुपक्षीय संघर्ष शुरू हुआ था।

    अंतर्राष्ट्रीय जांचकर्ताओं के मुताबिक असद की सरकार की सेना ने भयावह गृह युद्ध के दौरान रसानायिक हमले किये थे। इसमें साल 2011 से 370000 से अधिक लोगो की मौत हुई है और लाखो लोग विस्थापित हुए हैं। साल 2018 में सीरिया और तुर्की के बीच संघर्षविराम समझौता हुआ था लेकिन रूस ने बीते माह इदलिब पर हवाई हमला कर उसका उल्लंघन किया था।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने असद की सेना द्वारा रासायनिक हथियारों के हमलों की खबर के बाद 2017 और 2018 में सीरियाई सरकार के ठिकानों को निशाना बनाने का आदेश दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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