केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने इस साल 10वीं बोर्ड के छात्रों को बड़ी राहत प्रदान की है। सीबीएसई ने सभी संबंद्ध स्कूलों को निर्देश दिए है कि 10वीं परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों को पास माना जाएगा। मार्च में होने वाली 10वीं बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई ने अलग-अलग पास होने के अनिवार्य मानदंडों को इस साल छोड़ने का फैसला किया है।
अब सीबीएसई के नए निर्णय के मुताबिक छात्र को कुल मिलाकर 33 प्रतिशत अंक लाने ही जरूरी होंगे जिसमें छात्र उत्तीर्ण माना जाएगा। उन्हें बोर्ड परीक्षाओं और आंतरिक मूल्यांकन में 33% अंक अलग से सुरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है।
छात्रों को 33 प्रतिशत थ्योरी व इंटरनल असेसमेंट में मिलाकर लाने होंगे। अब अलग-अलग अंक आने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पहले बोर्ड ने बोर्ड परीक्षा में 33% और आंतरिक मूल्यांकन में 33% की एक अनिवार्य खंड रखा हुआ था।
सीबीएसई के परिपत्र में कहा गया है कि बोर्ड की परीक्षा समिति की बैठक में 16 फरवरी को तथ्यों पर विचार करने के बाद पता चला कि कक्षा X: 2018 का मौजूदा बैच अलग-अलग आकलन पृष्ठभूमि से आ रहा है। इसलिए 33 प्रतिशत अंक लाने वाला निर्णय इस साल के लिए किया जा रहा है।
इसके तहत 20 अंक वाली आंतरिक परीक्षा व 80 अंक वाली विषय परीक्षा के अंकों को मिलाकर 33 फीसद अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी पास माने जाएंगे। यह नियम पांचों मुख्य विषयों के लिए लागू होगा।
गौरतलब है कि कक्षा 10 के लिए 16.38 लाख छात्र पंजीकृत हुए है। बोर्ड ने पहली बार विशेष आवश्यकताओं के साथ छात्रों के लिए विशेष रियायतें और सुविधाएं भी अनुमति दी है। विकलांग छात्रों को उनकी जरूरतों और कौशल के अनुसार परीक्षा लिखने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।