चीन की बहुप्रतीक्षित वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) परियोजना पर अब खतरा मंडराने लगा है। चीन की आकांशा थी कि वो ओबीओआर के जरिए एशिया व यूरोप तक अपनी व्यापारिक पहुंच बना लेगा। साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की इस परियोजना को दुनिया के सामने रखा था।
वन बेल्ट वन रोड परियोजना का ही एक हिस्सा चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) है। चीन सीपीईसी के जरिए पाकिस्तान पर अपना प्रभुत्व जमाने में लगा हुआ है। लेकिन वर्तमान हालातों पर बात की जाए तो चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से चीन व पाकिस्तान के बीच में मतभेद खुलकर सामने आए है।
सीपीईसी अब चीन के लिए ही चुनौती बन गया है। सीपीईसी की शर्तों पर पाकिस्तान ने कई बार कड़ा ऐतराज जताया है। सीपीईसी प्रोजेक्ट को लेकर भारत ने भी चीन के समक्ष अपना विरोध दर्ज करवा रखा है।
क्योंकि सीपीईसी पाकिस्तान के पीओके से होकर भी गुजरेगा जिस पर भारत को आपत्ति है। सीपीईसी वर्तमान में चीन की विशाल वन बेल्ट वन रोड कनेक्टिविटी परियोजना का एकमात्र संचालन हिस्सा है, जिसे बेल्ट और रोड इनिशिएटिव के रूप में पुनः ब्रांडेड किया गया है।
चीन को रखनी होगी सीपीईसी पर नजर
पाकिस्तान में नागरिकों की तरफ से चीन के सीपीईसी को लेकर भी विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे है। चीन को अब सीपीईसी को लेकर सावधानी बरतनी होगी। बीजिंग को अब सीपीईसी प्रोजेक्ट के अपने निवेश पर ही न केवल बचाव करना होगा, बल्कि पाकिस्तान की अस्थिर अर्थव्यवस्था पर नजर रखनी होगी।
चीन पाकिस्तान में करोड़ो डॉलर निवेश कर रहा है। सीपीईसी प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले पाकिस्तान को चीन की चाल का शायद पता नहीं था लेकिन अब पाकिस्तान व चीन के बीच मे सीपीईसी को लेकर मतभेद सामने आने लगे है।
अब चीन को अपने सीपीईसी प्रोजेक्ट पर ही संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में चीनी अधिकारियों ने पाकिस्तान को बताया था कि उन्होंने सीपीईसी के तहत तीन सड़क परियोजना पर फंड निवेश करने पर रोक लगाई है।
चीन ने कहा था कि अब सीपीईसी के तहत पाकिस्तान को फंड बीजिंग की तरफ से नए दिशा-निर्देशों के बाद ही जारी किया जाएगा। इससे पाकिस्तानी अधिकारी दंग रह गए थे।
पाकिस्तान के बाद अब चीन ने दिखाए तेवर
चीन ने पाकिस्तान को फंड नहीं देने का फैसला ऐसे समय किया है जब इससे पहले पाकिस्तान ने चीनी प्रस्तावों को अपनाने से इंकार कर दिया था। पाकिस्तान ने पहले पीओके में प्रस्तावित डामर-भाषा बांध के लिए सीपीईसी फंडिंग से इनकार किया था।
पाक ने कहा था कि इस परियोजना के लिए उसे फंड की आवश्यकता नहीं है। अब चीन ने भी पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण तीन सड़क परियोजना पर फंड रोक देने पर उसे झटका दिया है।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2016 में पाकिस्तानी सीनेटरों ने चिंता व्यक्त की थी कि सीपीईसी एक अन्य ईस्ट इंडिया कंपनी बन सकती है। जिससे बाद में पाकिस्तान पर चीन का अधिकार हो जाए। चीन ने बेल्ट और रोड पहल के जरिए कई देशों को लोन के जाल में फांस लिया है।
सीपीईसी गलियारे के साथ चीनी श्रमिकों की मौजूदगी में स्थानीय रूप से असंतोष का कारण हो चुका है। चीन अब तक पाकिस्तान पर कठोर से पेश आता था लेकिन अब उसे नरमी दिखानी होगी। कई दोनों देशों के बीच ऐसा ही लंबे समय तक चलता रहा तो सीपीईसी को झटका लग सकता है।