चीन के राजदूत याओ जिंग ने मंगलवार को पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर के साथ फोन पर द्विपक्षीय सहयोग और सीपीईसी के तहत जारी परियोजना के मुद्दों पर चर्चा की थी। इस बैठक के दौरान असद उमर ने चीनी राजदूत को विदेशी निवेश के लिए अनुरूप वातावरण बनाने के लिए पाक सरकार द्वारा उठाये गए कदमो के बाबत जानकारी दी है।
चीन हमारा विश्वनीय मित्र
असद ने बताया कि “चीन हमारे विश्वसनीय दोस्त है और पाकिस्तान के सामजिक-आर्थिक विकास के लिए चीन का समर्थन जरुरी है। पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूदा निवेश के वातावरण से चीनी कारोबारियों और निवेशकों को भी फायदा होगा। इसमें कृषि, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा भी शामिल है।”
हाल ही कि रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को बैलआउट पैकेज देने में देरी कर दी है क्योंकि उन्हें शंका है कि पाकिस्तान इस रकम का इस्तेमाल चीनी कर्ज को चुकता करने के लिए इस्तेमाल करेगा। चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश किया है और कर्ज की रकम भी काफी है।
आईएमएफ का शक
अधिकारीयों ने सोमवार को कहा कि “वैश्विक संस्था ने सीपीईसी परियोजना की जानकारी मांगी है और लिखित में गारंटी की मांग की है कि इस रकम का इस्तेमाल पाकिस्तान चीनी कर्ज का भुगतान करने के लिए नहीं करेगा।” साथ ही आईएमएफ ने चीन द्वारा पाकिस्तान को मुहैया किये गए 6.5 अरब डॉलर के कमर्सिअल कर्ज की भी जानकारी मांगी है जो गत ढाई सालो में पाकिस्तान को चीन ने दिए हैं।
बीते वर्ष जुलाई में स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान में चीन ने दो अरब डॉलर जमा किये थे। बीते हफ्ते अमेरिका के सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन से पाकिस्तान को दिए जाने वाले बैलआउट पैकेज का विरोध करने का आग्रह किया था।
आईएमएफ की टीम इस मिशन के लिए इस माह के अंत तक कई तकनीकी पहलुओं पर चर्चा के लिए पाकिस्तान की यात्रा कर सकती है और इसके बाद इसे नेशनल असेंबली कमिटी के साथ साझा किया जायेगा। नकदी के संकट से उभरने के लिए पाकिस्तान को 8 अरब डॉलर की राशि की जरुरत है। अगर यह डील फाइनल हो जाती है तो यह पाकिस्तान को आईएमएफ का 14 वां बैलआउट पैकेज होगा।