चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट से पाकिस्तान के गिलगित-बल्तिस्तान पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट से गिलगित-बल्तिस्तान पर पर्यावरणीय आपदाएं आ सकती है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट का यहां के निवासी काफी समय से विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। गिलगित-बल्तिस्तान दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पर्वत श्रृंखलाओं का घर माना जाता है। लेकिन मानवीय हस्तक्षेप के कारण यह क्षेत्र अपनी चमक व महत्ता खोते जा रहा है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से गिलगित-बल्तिस्तान के पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। सीपीईसी ने क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों को तो नुकसान पहुंचाया ही है और साथ ही में मानव जीवन के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य पर बुरा असर
सीपीईसी प्रोजेक्ट पाकिस्तान के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरेगा। यहां के स्थानीय निवासियों को आशंका है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से भारी संख्या में यातायात का निर्माण और आवागमन होगा। जिसका इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
कई लोगों का कहना है कि जब सीपीईसी परिवहन यहां से चलेगा तो पर्यावरण प्रदूषण निश्चित रूप से बढ़ेगा और ध्वनि प्रदूषण में भी वृद्धि होगी। इसके लिए उचित कदम उठाने जाने की भी मांग की जा रही है।
वाहनों के आवागमन से जो धुंआ निकलेगा उससे मानव के स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान पहुंचेगा। साथ ही इसका मौसम पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
पाकिस्तान सरकार जिम्मेदार
गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के निवासियो ने यहां के पर्यावरण को बिगाड़ने का जिम्मेदार पाकिस्तान सरकार को ही माना है। इस वजह से ही लंबे समय से यहां के लोग सीपीईसी प्रोजेक्ट को लेकर विरोध कर रहे है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के संसाधनों का शोषण भी किया जा रहा है जिसने पहाड़ों और क्षेत्र की नदियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार सिर्फ अपना हित देख रही है। लेकिन यहां के लोगों की परेशानियों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है।