विषय-सूचि
कुछ सालों पहले तक जब USB फ़्लैश ड्राइव और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी चीजें उतनी प्रचलित नही हुई थी जितनी कि वो आज हैं, तब डाटा को सुरक्षित रखने और निकालने के लिए CDs का ही सहारा था।
आपने आज भी कहीं-कहीं वो गोल सीडी देखी ही होगी जो कुछ सौ एमबी से लेकर एक-दो जीबी तक के डाटा को सम्भाल सकते हैं।
कॉम्पैक्ट डिस्क क्या है? (what is compact disk in hindi)
Compact disc (CD) एक डिजिटल ऑप्टिकल डिस्क डाटा स्टोरेज फॉर्मेट है। इसे फिलिप्स और सोनी ने मिलकर विकसित किया था।
हालांकि पहले तो सीडी फॉर्मेट को गाने या आवाज रिकॉर्ड करने और बजाने के लिए किया गया था लेकिन फिर बाद में इसका उपयोग डाटा को स्टोर करने के लिए भी होने लगा।
सीडी के अंदर डाटा को ऐसे लेजर बीम के द्वारा एनकोड किया जाता है जो कि इसके सतह पर कई गड्ढे या bump बना देता है।
एक bump को सीडी वाली भाषा में एक Pit कह सकते हैं जिसे 0 समझा जाता है। वहीं अगर इसकी अनुपस्थिति हो तो वो संख्या 1 को दिखाती है।
ये क्रैक, स्क्रैच या दाग सीडी को अंदर से भी नुक्सान पहुंचाते हैं और उसके डाटा को स्टोर कर के रखने की क्षमता को चोट पहुंचाते हैं जिस से उस में डाटा डालना या फिर निकालना- दोनों ही मुश्किल हो जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोंचा है कि ये होता ही क्यों है? स्क्रैच या क्रैक के कारण सीडी को पढना या एक्सेस करना क्यों इतना मुश्किल हो जाता है? इसके लिए आपको सबसे पहले ये जानना होगा कि आखिर सीडी काम कैसे करता है।
सीडी कैसे काम करता है? (working of compact disk in hindi)
एक सीडी का व्यास करीब 12 सेंटीमीटर यानी कि साढ़े चार इंच का होता है। और इसके अंदर कुछ पतले वृत्तिय परत होते हैं जो आपस में उपर-नीचे जुड़े होते हैं।
सबसे उपर जो परत होती है वो प्लास्टिक कि बनी होती है जिसे सुरक्षा कि दृष्टि से डाला जाता है।जैसे कि कोई आर्टवर्क या लेबल हो तो इसी पर प्रिंट किया जाता है। ऐसा ओफ़्सेट प्रिंटिंग या स्क्रीन प्रिंटिंग के द्वारा किया जाता है।
अब हम जानते हैं कि सीडी के अंदर सूचनाएँ संग्रहित कैसे होती है। आपको बता दें कि सीडी के अंदर इनफार्मेशन को डिजिटल तरीके से यानी लाखों 1 और 0 के रूप में स्टोर होती है। ये डाटा लेज़र बीम कि मदद से डाला जाता है।
अब आप ये तो समझ गये कि सीडी कैसे काम करता है लेकिन आइये अब जानते हैं कि सीडी प्लेयर कैसे कार्य करता है।
सीडी प्लेयर कैसे कार्य करता है? (working of cd player in hindi)
सीडी प्लेयर के अंदर ऐसी दो चीजें होती है जो इसे किसी सीडी को पढने में सक्षम बनाती है:
- एक छोटा लेज़र बीम जिसे सेमीकंडक्टर डायोड लेज़र भी कहते हैं, और
- एक इलेक्ट्रॉनिक लाइट डिटेक्टर या यूँ कह लीजिये कि फोटोइलेक्ट्रिक सेल।
जब आप सीडी प्लेयर को चालू करते हैं तो इसके अंदर लगा इलेक्ट्रॉनिक मोटर अंदर डाले गये सीडी को काफी तेज गति से गोल-गोल घुमाने लगता है। बाहरी सिरा 200 RPM कि गति से घूमता है जबकि अंदर का हिस्सा 500 RPM कि गति से।
जब फोटोसेल रेफ्लेक्टेद प्रकाश को देखता है तो समझ जाता है कि लेज़र ने जरूर कुछ देखा है औरसर्किट को एक सिग्नल भेजता है जो 1 को प्रोडूस करता है। जब ये कोई प्रकाश नही डिटेक्ट करता तो 0 generate करता है।रेफ्लेक्टेद बीम के इंटेंसिटी में बदलाव कि वजह्स इ 0 और 1 का पता चलता है।
स्क्रैच वाले सीडी को पढना क्यों मुश्किल है? (scratched cd reason in hindi)
सीडी के अंदर डाटा उसके चमकदार सतह पर नही बल्कि सबसे अंदर के पोलीकार्बोनेट सतह में मोजूद होता है।स्क्रैच कि वजह से लाइट का बीम ठीक से रिफ्लेक्ट नही हो पता और उस सीडी को एक्सेस करने में दिक्कतें आती है।
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