Mon. Dec 23rd, 2024

    संयुक्त राष्ट्र सीओपी के मनोनीत अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत अधिक महत्वाकांक्षी उत्सर्जन लक्ष्यों पर विचार करेगा। आलोक शर्मा 26वें दौर की जलवायु वार्ता से पहले ठोस परिणामों के लिए राष्ट्रों के बीच व्यापक आम सहमति बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दौरे के रूप में भारत का दौरा कर रहे हैं।

    सीओपी अध्यक्ष शर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि, “मैंने जो चर्चा की है उसने मुझे प्रोत्साहित किया गया है। भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) से आगे निकलने की राह पर है। मैं अनुरोध करूंगा कि भारत किसी ऐसे एनडीसी पर विचार करेगा जो इस उपलब्धि को ध्यान में रखता हो।” इस तीन दिवसीय भारत दौरे में उनसे मिलने वालों में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल थे।

    नवंबर में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाली जलवायु वार्ता से पहले एक प्रमुख थीम बिल्डिंग का यह सवाल है कि कितने देश शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य के लिए और कब तक प्रतिबद्ध हो सकते हैं। शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य या कार्बन तटस्थता तब होती है जब वातावरण से अधिक कार्बन निकाला जाता है या किसी देश के उत्सर्जन से अधिक कार्बन उत्सर्जित होने से रोका जाता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि ग्रह 2100 तक अतिरिक्त आधा डिग्री गर्म नहीं हो पाए।

    2050 तक कार्बन तटस्थता तक पहुँचने के लिए 120 से अधिक देशों ने दृढ़ता की अलग-अलग डिग्री के साथ लख्यों को प्रतिबद्ध किया है। ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर सहित पांच देशों ने 2050 के बाद शुद्ध शून्य उत्सर्जन की प्रतिज्ञा ली है लेकिन अभी तक एक ठोस लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश चीन 2030 से पहले अपने उत्सर्जन को चरम पर ले जाने और 2060 तक शुद्ध शून्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा है कि वह 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा और 2030 तक उत्सर्जन लगभग आधा कर देगा। भारत उन प्रमुख देशों में से है जिन्होंने 2050 की योजना के लिए लक्ष्य प्रतिबद्ध नहीं किया है,

    लेकिन यह उन देशों में से एक है जिसने 2015 के पेरिस समझौते के मुख्य लक्ष्य से प्रतिबद्धित है। भारत उन देशों में शामिल हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि इसके उत्सर्जन सदी के अंत तक दुनिया को वर्तमान से एक डिग्री अधिक गर्म करने के की राह पर ना लेकर आएं। इसके अलावा भारत की स्थिति यह है कि यह सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन करता है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *