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    संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) 2019 के पास होने के बाद अब गुरुवार को बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मद्देनजर असम और त्रिपुरा में सेना की तैनाती की गई है।

    सेना के प्रवक्ता अमन आनंद ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों राज्यों की सरकारों के अनुरोध के चलते सेना की आठ टुकड़ियां दोनों प्रदेशों में तैनात की गई हैं।

    सेना की पांच टुकड़ी असम में तैनात की गई है। प्रत्येक टुकड़ी में 70 सैनिक और एक-दो अधिकारी होती हैं।

    त्रिपुरा में असम राइफल्स की तीन टुकड़ी तैनात की गई है।

    सेना के सूत्रों का कहना है कि तैनात किए गए कर्मियों का कार्य जरूरत पड़ने पर जैसे भी हो स्थानीय प्रशासन की मदद करना है।

    गुवाहाटी नागरिक संशोधन विधेक के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बन गया है, जिसके चलते असम सरकार को शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाना पड़ा है।

    लोकसभा में सोमवार मध्य रात्रि को विधेयक के पास होने के साथ ही दोनों राज्यों में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई और बुधवार रात को अंतिम बाधा पार करते हुए राज्यसभा से भी विधेयक के पास होते ही कानून-व्यवस्था बिगड़नी शुरू हुई।

    सोशल मीडिया का इस्तेमाल दुष्प्रचार के लिए न किया जा सके, इसलिए एहतियातन असम और त्रिपुरा दोनों ही राज्यों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है।

    त्रिपुरा सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश के अनुसार, मोबाइल सेवाओं के सभी नेटवर्क्‍स पर एसएमएस भेजने की सुविधा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

    विरोध प्रदर्शनों के चलते बुधवार को हवाईअड्डे पर जाम लग गया, जिसके कारण असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल वहां फंस गए। हालांकि, बाद में वह किसी तरह अपने निवास तक पहुंचने में कामयाब रहे।

    पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों की नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस नागरिकता संशोधन विधेयक का पूरे क्षेत्र में विरोध हो रहा है।

    प्रदर्शनकारियों ने चिंता व्यक्त की है कि विधेयक द्वारा अनुमति प्राप्त शरणार्थी स्वदेशी लोगों की पहचान और आजीविका को खतरे में डाल सकते हैं।

    विधेयक को संसद के पटल पर रखने से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के सभी हितधारकों के साथ व्यापक बैठकें कीं और उपयुक्त अपवाद बनाए हैं।

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