विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक सोमवार आधी रात लोकसभा में कई घंटो तक चली लंबी बहस के बाद पारित हो गया था। बुधवार को दोपहर 12 बजे विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया है। राज्यसभा में सांसदों की संख्या कम होने के बाद भी भाजपा को पूरा विश्वास है कि सीएबी को आरामदायक बहुमत के साथ सदन में पारित किया जा सकेगा।
राज्यसभा में बिल को पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज मैं एक ऐतिहासिक बिल लेकर सदन में उपस्थित हुआ हूं। इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है।
यह नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो संविधान के अनुसार कार्य कर रही है
गृहमंत्री शाह ने कहा कि गलत सूचना फैलाई गई कि यह बिल भारत के मुसलमानों के खिलाफ है। मैं यह लोगों से पूछना चाहता हूं कि यह बिल भारतीय मुसलमानों से कैसे संबंधित है? वे भारतीय नागरिक हैं और हमेशा रहेंगे, उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
भारत के किसी भी मुसलमान को इस विधेयक के कारण चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई आपको डराने की कोशिश करे तो घबराएँ नहीं। यह नरेंद्र मोदी सरकार है, जो कि संविधान के अनुसार कार्य कर रही है। अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मिलेगी।
पड़ोसी देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में 20 प्रतिशत गिरावट
उन्होंने बिल को पारित किए जाने के समर्थन में कहा कि पाकिस्तान और वर्तमान बांग्लादेश दोनों देशोंं में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में लगभग 20% की गिरावट आई है। या तो वे मारे गए या वे शरण के लिए भारत भाग आए। जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हैं, ये बिल उन्हें नागरिकता देने का बिल है। कुछ विशेष छूट भी इस निश्चित वर्ग के लिए हमने सोची हैं।
इस बिल से लाखों लोगों को राहत मिलेगी, इससे अल्पसंख्यकों को नई उम्मीद मिलेगी। यह एक ऐतिहासिक विधेयक है जो भारत को एकजुट करेगा। इस बिल में हम तीनों पडोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण देकर उनको नागरिक बनाने की प्रक्रिया का संशोधन लेकर आये हैं। यानी आजादी के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से जो भी हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोग भारत आएं हैं उन्हें हम नागरिकता देंगे।
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विशेष प्रावधान
साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों, उनकी भाषा, संस्कृति और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आये हैं। सीएबी के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन को लेकर गृहमंत्री ने बताया कि 1985 में, असम समझौता हुआ। राज्य की स्वदेशी संस्कृति की रक्षा के लिए खंड 6 में प्रावधान है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि खंड 6 की निगरानी के लिए समिति के माध्यम से एनडीए सरकार असम के अधिकारों की रक्षा करेगी। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन कमेटी का हिस्सा होगी।
सीएबी को लेकर अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तर पूर्व के सभी राज्यों को दिए गए संरक्षण को आगे बढ़ाते हुए अनुसूची 6 में असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और अब मणिपुर के जनजातीय इलाकों पर यह बिल लागू नहीं होगा। इस तरह बंगाल पूर्वी सीमा नियमन अधिनियम, 1973 के तहत इनर लाइन परमिट के क्षेत्र, पूरे मिजोरम, अरुणाचल, अधिकांश नागालैंड और मणिपुर में ये प्रावधान लागू नहीं होंगे।
मोदी जी से मिलने पर सरदार पटेल बहुत नाराज होंगे : कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि ‘आप जो विधेयक लाए हैं, वह भारतीय संविधान की नींव पर हमला है, यह भारत गणराज्य पर हमला है। इससे भारत की आत्मा आहत होती है। यह हमारे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। यह नैतिकता परीक्षण में विफल रहता है।’
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमारे धर्म में, हम पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं, और हम अपने बुजुर्गों से मिलते हैं। इसलिए अगर सरदार पटेल मोदी जी से मिलते हैं। तो वे उनसे बहुत नाराज होंगे। गांधी जी भी बिलकुल उदास होगें। लेकिन सरदार पटेल वास्तव में बहुत नाराज होंगे।
हम वहीं कर रहे हैं, डॉ मनमोहन सिंह ने आडवाणी जी से कहा था : जेपी नड्डा, भाजपा
बिल के समर्थन में भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि, 2003 में, राज्य सभा में डॉ मनमोहन सिंह ने बांग्लादेश जैसे देशों में शरणार्थियों के साथ किए जा रहे व्यवहार और उनके उत्पीड़न के बारे में डिप्टी पीएम आडवाणी जी से कहा था। उन्होंने कहा कि हमें उन्हें नागरिकता देने में अधिक उदार दृष्टिकोण रखना चाहिए। इसलिए, हम वहीं कर रहे हैं, जो उन्होंने कहा था।
1970 के भारतीय जनसंघ के एक रेज्यूलेशन में कहा गया था कि “भारत के लिए गर्व का विषय है कि भारत ने अपने वचन और अल्पसंख्यकों की पूरी रक्षा कि है और उन्हें बराबरी के अधिकार दिए है। भारत में मुसलमानों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस बात की साक्षी है। लेकिन पाकिस्तान ने भी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के आश्वासन का आदर किया होता तो वहां अल्पसंख्यकों की संख्या 2.5 करोड़ होनी थी। जो घटकर मात्र 90 लाख रह गई है।
सीएबी का विरोध करते हुए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि, मैंने पढ़ा कि पीएम ने कहा कि यह सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। मैं आपको बताऊंगा कि यह कहां लिखा जाएगा, यह राष्ट्र के पिता की कब्र पर लिखा जाएगा, लेकिन कौन सा पिता राष्ट्र? जिन्ना की कब्र पर कराची में।
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी सांसद जावेद अली खान ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि ‘हमारी सरकार इस सीएबी और एनआरसी के माध्यम से जिन्ना के सपने को पूरा करने की कोशिश कर रही है। याद कीजिए, 1949 में सरदार पटेल ने कहा था कि ‘हम भारत में वास्तव में धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की नींव रख रहे हैं’।
राज्यसभा में जेडीयू ने सीएबी का समर्थन किया। इस क्रम में जद(यू) सांसद आरसीपी सिंह ने कहा कि, हम इस बिल का समर्थन करते हैं। यह बिल बहुत स्पष्ट है, यह विधेयक हमारे तीन पड़ोसी देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है। लेकिन यहां हमारे भारतीय मुस्लिम भाइयों पर बहस चल रही है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने राज्यसभा में विधेयक का विरोध किया। टीआरएस सांसद डॉ केशव राव ने कहा कि, यह विधेयक भारत के विचार को चुनौती देता है और न्याय के प्रत्येक आदर्श को नकारता है। इस बिल को वापस लिया जाना चाहिए।
सदन में एआईएडीएमके ने भी सीएबी को भी समर्थन दिया है। अन्नाद्रमुक सांसद एसआर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि, ‘हमें सीएबी को लेकर कुछ चिंताएं हैं लेकिन कुल मिलाकर हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं।’
लेकिन सीपीआई(एम) ने विधेयक पर अपना विरोध दर्ज किया है। माकपा सांसद टीके रंगराजन ने इस क्रम में कहा कि, मान लीजिए कि आप कानून बनाते हैं। तो अल्पसंख्यकों पर होने वाले किसी भी नतीजे के लिए कौन जिम्मेदार होगा? इसलिए मेरी पार्टी इसका विरोध करती है। देश को खराब मत करो, संविधान को मत खराब करो, यही मेरा अनुरोध है।
डीएमके भी विधेयक के विरोध में दिखाई दी। राज्यसभा में डीएमके सांसद तिरुची शिवा ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा कि, यदि यह विधेयक पारित हो जाता है। तो यह हमारे धर्मनिरपेक्षता के लिए एक आघात होगा। आप (भाजपा) के पास देश के सभी नागरिकों को न्यायोचित ठहराने और एक वर्ग को अलग न रखने और उन्हें पीड़ित महसूस कराने का जनादेश है।
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने राज्यसभा में सीएबी का समर्थन किया है। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, असम सांसद बिश्वजीत दैमारी ने कहा कि हम नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का समर्थन करते हैं।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में कहा कि, ’यह सरकार अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस विधेयक का इस्तेमाल कर रही है। यह एक दुखद दिन है। मैं पूरी तरह से स्पष्ट हूं कि इस कानून को खत्म किया जाएगा।’
राज्यसभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि, मज़बूत पीएम और गृहमंत्री पर हमारी आशा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या आप इस बिल के पास होने के बाद घुसपैठियों को बाहर निकालेंगे? उन्होंने कहा कि अगर शरणार्थियों को स्वीकार करते हैं, तो उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने सावल किया कि, ‘क्या अनको वोटिंग अधिकार मिलेंगे?’
संजय राउत ने आगे कहा कि, हम कल से सुन रहे हैं। जो लोग इस बिल के समर्थन में हैं वो राष्ट्रवादी है। जो समर्थन में नहीं हैं। वह राष्ट्रद्रोही हैं। लेकिन हमें आपसे अपने राष्ट्रवाद या हिंदुत्व के लिए कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। जिस स्कूल में आप पढ़ते हो हम उसके हेडमास्टर हैं। हमारे स्कूल के हेडमास्टर बाला साहेब ठाकरे थे, अटल जी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे। हम सबको मानते हैं।
बहुजन समाज पार्टी ने राज्यसभा में बिल का विरोध किया है। बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने विधेयक के विरोध में कहा कि, हमारी पार्टी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करती है। आप मुसलमानों को छोड़कर अनुच्छेद 14 का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? मुसलमानों को बाहर रखा जाना इस पूरे कृत्य की एकमात्र समस्या है।
पीडीपी ने भी सीएबी का विरोध किया है। जम्मू और कश्मीर से पीडीपी राज्यसभा सांसद मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा कि ,मैं इस विधेयक का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं। जब से यह सरकार सत्ता में आई है, तब से इसने ट्रिपल तालाक और आर्टिकल 370 जैसे विधेयकों से मुसलमानों को लक्षित किया है। ये सरकर जब से बनी है। यह मुसलमानों के पीछे पड़ी है।
एमडीएम ने राज्यसभा में सीएबी का विरोध किया। एमडीएमके सांसद वाइको ने नागरिकता पर संशोधन विधेयक 2019 को लेकर कहा कि, ‘यदि यह अप्रिय, घृणित, अलोकतांत्रिक, अनुचित, निर्लज्ज, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक विधेयक इस राज्य परिषद में आज पारित हो जाता है। तो यह इस उच्च सदन के इतिहास में एक काला अध्याय बन जाएगा।
नागालैंड की एनपीएफ द्वारा सीएबी को समर्थन दिया गया। नागालैंड से एनपीएफ सांसद के जी केन्ये ने कहा कि, मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। उत्तर-पूर्व में लोगों के पास कोई धार्मिक पूर्वाग्रह नहीं है और वे सांप्रदायिक भी नहीं हैं। यह धर्म, अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक समुदायों के बारे में नहीं है। यह गैर-कानूनी प्रवासी हैं जो हमारे क्षेत्र में आ गए हैं और हमारी आबादी को दबाने की धमकी दे रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक की खिलाफत की। आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि मैं इस विधेयक का विरोध कर रहा हूं क्योंकि यह बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के खिलाफ है। यह संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है। यह महात्मा गांधी और भगत सिंह के सपनों के भारत के खिलाफ है।
वाईएसआरसीपी द्वारा राज्यसभा में बिल को समर्थन दिया गया है। आंध्र प्रदेश ने वाईएसआरसीपी सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को पार्टी द्वारा समर्थन दिए जाने की पुष्टी की। उन्होंने कहा हमारी पार्टी विधेयक के समर्थन में है।
जनता दल (सेक्युलर) ने सीएबी पर राज्यसभा में विरोध दर्ज किया है। कर्नाटक से जेडी(एस) सांसद डी कुपेंद्र रेड्डी ने कहा कि, यह विधेयक इस देश में हमारी धर्मनिरपेक्षता नीति को कमजोर करेगा। मैं इस विधेयक का कड़ा विरोध करता हूं। मेरा सुझाव है कि विधेयक को जांच के लिए संसद की एक प्रवर समिति को भेजा जाए।
भाजपा ने राज्सभा में विधेयक पेश होने से पहले बुलाई संसदीय दल की बैठक
विधेयक के राज्यसभा में पेश किए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार सुबह संसद पुस्तकालय में संसदीय दल की बैठक बुलाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक को संबोधित किया था।
राज्यसभा में आरामदायक बहुमत के साथ पारित होगा सीएबी : भाजपा
संसदीय दल की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि सीएबी को आज दोपहर 12 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएग और इसे आरामदायक बहुमत के साथ सदन में पारित किया जाएगा।
साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को धर्म के आधार पर सताए गए लोगों के लिए सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने बैठक में सभी सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में किसान, व्यापारियों और उद्योगपतियों के सुझाव लेने और उनके बारे में वित्त मंत्री को फीडबैक देने के लिए भी कहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी ने बैठक में यह भी कहा है कि कुछ विपक्षी दल नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान के जैसी भाषा बोल रहे हैं।
शिवसेना का यू-टर्न
लोकसभा में सीएबी को समर्थन देने के बाद मंगलवार को शिवसेना प्रमुख उद्धाव ठाकरे ने विधेयक पर पार्टी के स्टैंड से यू-टर्न ले लिया था। उन्होंने कहा था कि कुछ चीजें जब तक स्पष्ट नहीं होती। तब तक शिवसेना राज्यसभा में विधेयक को समर्थन नहीं देगी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सहयोगी शिवसेना के सदस्यों ने राज्यसभा में अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का समर्थन करेंगे या इसका विरोध करेंगे। शिवसेना के सदस्य संजय राउत ने बुधवार को कहा कि विधेयक के संबंध में कुछ संदेह हैं और अगर हमें सही जवाब नहीं मिला तो हम विधेयक के खिलाफ जाएंगे।
राउत ने कहा, “हम उच्च सदन में चर्चा के बाद फैसला करेंगे। विधेयक में ऐसी कई चीजें हैं, जिन पर हम स्पष्टीकरण चाहते हैं।” सरकार ने उच्च सदन में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश किया है। सोमवार को लोकसभा में विधेयक को पास हो चुका है।
शिवसेना सदस्य ने कहा, “क्या हमें संसद के बाहर और अंदर अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं है। वे लोग भी हैं जो पूर्वोत्तर, असम और बंगाल में इस विधेयक के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। हमें कुछ संदेह है। हमारे कुछ प्रश्न हैं। अगर हमें सही उत्तर नहीं मिलते हैं, तो हम तय करेंगे कि हमें क्या करना है। विधेयक में कई चीजें हैं।”
लोकसभा और राज्यसभा में उनकी पार्टी का रुख अलग-अलग क्यों है? इस पर राउत ने कहा, “यह ठीक है कि हमने लोकसभा में समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में हमारा रुख अलग है। अब रुख अलग है। हमारी पार्टी के विचार एक हैं। लेकिन हम वोट बैंक की राजनीति नहीं होने देंगे।”
उन्होंने सवाल किया कि भारत में एक बार फिर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फूट डालने की कोशिशें क्यों हो रही हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह मानवता से जुड़ा मामला है और इसे धर्म तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। हम अपना पक्ष स्पष्ट रखेंगे।”
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा है कि अगर उन्हें राज्यसभा में सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है पार्टी का रुख लोकसभा से अलग होगा। राउत ने यह भी कहा कि उन्हें देशभक्ति पर किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है।