Mon. Dec 23rd, 2024

    देश भर से शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए। कई जगहों पर प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के दरियागंज में एक हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए लगभग 40 लोगों को रिहा करने की मांग को लेकर शाम को दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर कई लोग इकट्ठा हुए।

    जिस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा एक कार को भी जला दिया गया था। हालांकि, हिरासत में लिए गए नाबालिगों को मध्यरात्रि में अदालत के आदेश के बाद दरियागंज से रिहा कर दिया गया था। इस बीच, दिल्ली में शनिवार सुबह सामान्य स्थिति बहाल कर दी गई है। सभी मेट्रो स्टेशनों पर सेवाएं फिर से शुरू हो गई हैं।

    जामिया छात्रों के सीएए विरोधी प्रदर्शनों को मिला दिल्ली के वकीलों का समर्थन

    दिल्ली की विभिन्न अदालतों के करीब 300 वकील शनिवार शाम जामिया विश्वविद्यालय कैंपस पहुंचे। अलग-अलग अदालतों से आए ये वकील नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन में यहां आए थे। वकीलों का कहना है कि वे नागरिकता संशोधन कानून और जामिया में हुई पुलिस कार्रवाई दोनों का विरोध करते हैं।

    जामिया छात्रों को अपना समर्थन देने वाले वकीलों में साकेत कोर्ट, तीस हजारी, कड़कड़डूमा और रोहिणी कोर्ट के वकील शामिल थे। इन वकीलों ने कहा कि वे कोर्ट का काम समाप्त करने के बाद व्यक्तिगत क्षमता में एक साथ यहां आए हैं।

    रोहिणी कोर्ट के वकील अमन ने कहा कि जामिया विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में छात्रों के साथ हुए दुर्व्यवहार से वह असहमत हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों समेत किसी भी व्यक्ति को अपना विरोध या विचार शांतिपूर्ण तरीके से रखने की पूरी आजादी है।

    साकेत कोर्ट के सलीम ने कहा कि अगर आज नागरिकता संशोधन कानून की मुखालफत नहीं की गई तो कल पूरे देश में इसके बाद एनआरसी लागू होगा। जामिया के गेट नंबर 7 के बाहर इन वकीलों ने अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ धरना दिया। इस दौरान ये वकील अपने साथ सीएए व एनआरसी के विरोध का पोस्टर भी लेकर आए थे।

    जामिया में शनिवार को दिन भर नारे गूंजते रहे। बुर्के में आई सैकड़ों महिलाओं ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी नहीं चलेगी’, ‘एनआरसी वापस लो’, ‘सीएए वापस लो’, ‘हमें चाहिए आजादी’ के नारे लगाए। ये महिलाएं अपने साथ अपना खुद का माइक और लाउडस्पीकर भी लेकर आई थीं। माइक पर किसी को भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बोलने की आजादी थी, बशर्ते वह इनमें से ही कोई महिला हो।

    दरियागंज हिंसा आरोपी को तीस हजारी कोर्ट लाया गया

    दिल्ली के दरियागंज में शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों को तीस हजारी कोर्ट लाया गया।

    जामिया नगर हिंसा में बंग्लादेशियों ने पुलिस पर बरसाए थे पत्थर

    देश में भर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मचे बबाल में एक डराने वाला सच भी सामने आया है। हिंसा फैलाने वालों में हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्हें इतना भर बताया-समझाया गया है कि उन्हें भारत से वापस बांग्लादेश भगा दिया जाएगा।

    अब तक परदे के पीछे छिपा यह सच तब सामने आया, जब दक्षिण-पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस ने जामिया नगर फसाद-आगजनी में 9-10 लोगों को गिरफ्तार किया। उल्लेखनीय है कि बीते रविवार को राजधानी में जामिया नगर से ही हिंसा की शुरुआत हुई थी।

    दिल्ली पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, “दक्षिण पूर्वी जिला पुलिस ने जिन लोगों को अब तक हिंसा के लिए पकड़ा है, उनमें चार बंग्लादेशी हैं। चारों बांग्लादेशी अवैध रूप से लंबे समय से जिले की तैमूर नगर कॉलोनी में छिपकर रह रहे थे। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाना पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद जब इनसे हिंसा में शामिल होने की वजह पूछी तो वे साफ साफ नहीं बता सके। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें तो बस इतना बताया गया था कि बांग्लादेशियों को भारत से भगाया जा रहा है।”

    न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार इन बांग्लादेशियों के नाम जुम्मन, अनवर काला, एनल हुसैन और युनूस बताए जाते हैं। ये चारों मादक पदार्थ बेचने का भी काला धंधा गली-मुहल्लों में करते हैं। खुद भी नशा करते हैं। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने के एक पुलिसकर्मी के अनुसार, रविवार को जब ये चारों जामिया नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाना इलाके में पुलिस पर पथराव कर रहे थे, उस वक्त भी नशे की हालत में थे।

    इस खुलासे के बाद दिल्ली पुलिस के हर जिले में मौजूद बांग्लादेशी प्रकोष्ठ हरकत में आ गए हैं। जिले में रह रहे बांग्लादेशियों की कुंडली जिला पुलिस खंगालने लगी है। पुलिस को इस खुलासे के बाद अंदेशा ही नहीं रह गया, वरन पुख्ता भी हो चुका है कि कहीं न कहीं राजधानी को फसाद की आग में झोंकने में ये अशिक्षित और कानून की पूरी हकीकत से अनजान चंद बांग्लादेशियों के कंधे पर बंदूक रखकर कोई और तो गोली नहीं चला या चलवा रहा है।

    जामिया विश्वविद्यालय के बाहर सीएए विरोध प्रदर्शन

    दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर शनिवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गए और उन्होंने ‘मोदी-शाह होश में आओ, हिंदू-मुस्लिम मत करो’ के नारे लगाने लगाए। इस दौरान पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असहाय दिखी। इसी इलाके में एक सप्ताह पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद से यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया है।

    जैसे ही जामिया के गेट नंबर सात पर छात्र एकत्रित हुए तो यहां एक रास्ते को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया। इस दौरान छात्रों द्वारा ‘हमें न्याय चाहिए/वी वॉन्ट जस्टिस’ जैसे नारे लगाए गए।


    जामिया विरोध प्रदर्शन की अग्रिम पंक्ति में युवा महिला छात्र शामिल रहीं। यहां प्रदर्शन में शामिल कुछ महिलाओं की गोद में बच्चे भी थे। एक अफगान पिता अपनी 16 महीने की बेटी के साथ आया हुआ था। उसने कहा कानून को मत दबाओ, बल्कि इसमें संशोधन करो। बीएड की पढ़ाई कर रहे अमरीन ने कहा, “सीएए के साथ आप देश के बाहर से शरणार्थियों को तो लाना चाहते हैं, लेकिन आप अपने ही देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यकों को बाहर करना चाहते हैं। यह किस प्रकार का कानून है।”

    नई नागरिकता अधिनियम के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बड़ी संख्या में गृहिणियों और छोटे बच्चों ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। 14 दिसंबर के विरोध के विपरीत हालांकि शनिवार का विरोध शांतिपूर्ण रहा है। जामिया परिसर के बाहर सैकड़ों छात्र और निवासी एकत्रित हुए और राष्ट्रीय ध्वज लेकर मार्च निकाला।

    इस दौरान ज्यादातर लोग गेट नंबर सात (मौलाना अबुल कलाम आजाद गेट) पर इकट्ठा होते देखे गए। प्रदर्शन में शामिल छात्रों के पास अपनी आवाज को दूर तक पहुंचाने के लिए साउंड सिस्टम व माइक्रोफोन भी थे। उन्होंने सीएए को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।

    जामिया छात्रा लदीदा सखालून और आयशा रेना हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी की जनसभा में शामिल होंगी

    जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों द्वारा किए जाए सीएए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बनी जामिया छात्रा लदीदा सखालून और आयशा रेना आज हैदराबाद में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की जनसभा में उपस्थित होंगी।

    सीलमपुर हिंसा में फेंके गए थे पेट्रोल बम, आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया

    उत्तर पूर्वी दिल्ली में मंगलवार को पुलिस और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष में भीड़ ने पुलिस पर खुल कर ‘पेट्रोल-बम’ फेंके थे। ये बम देसी फार्मूले से बनाए गए थे। इन बमों को बनाने के लिए ज्यादा सामान की जरूरत नहीं पड़ती है। एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने में भी ज्यादा जोखिम नहीं रहता है, और इनका हमला कई गुना ज्यादा प्रभावी और घातक होता है।

    उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर शनिवार को आईएएनएस को बताया, “गिरफ्तार हमलावर का नाम रहीस है। उसके साथ उसके साथी हसन को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल रहीस ने मंगलवार को खुलकर पब्लिक और पुलिस के ऊपर देसी स्टाइल में तैयार इन पेट्रोल-बम का इस्तेमाल किया था। तमाम लोग हमले में घायल हुए थे। रहीस को हाथ में कुछ लेकर भागते हुए देखे जाने के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।”

    दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक, “सीलमपुर-जाफराबाद में मंगलवार को हुई हिंसा के दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया पर ऐसा भी सामने आया, जिसमें एक शख्स बम फेंकने के बाद घटनास्थल पर पीछे की ओर भागता हुआ दिखाई दे रहा था। गले में मफलर डाले और चश्मा लगाए यह युवक बदहवास था। उस संदिग्ध के साथ-साथ कुछ और युवक भी पीछे की ओर भागते हुए दिखाई दे रहे थे। वायरल वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि विस्फोट के साथ ही मौके से भाग रहे संदिग्ध (जो बाद में पेट्रोल बम फेंकने वाला रहीस निकला) का हाथ कलाई से विस्फोट में उड़ चुका है। उसके जख्मी हाथ से खून टपक रहा था, और मांस के लोथड़े लटके हुए थे।”

    सीलमपुर थाने में तैनात और मौके पर उपद्रवियों से मोर्चा लेते वक्त जख्मी हुए सब-इंस्पेक्टर ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “वायरल वीडियो में बम विस्फोट से ठीक पहले जिसके हाथ में थैला लटका दिखाई दे रहा है, और विस्फोट के तुरंत बाद जिस युवक का हाथ लहूलुहान नजर आ रहा है, उसका नाम रहीस है। वायरल वीडियो के जरिए ही इलाके के लोगों ने उसकी पहचान की। रहीस उत्तर-पूर्वी जिले का ही रहने वाला है।”

    दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “बम विस्फोट करने वाले आरोपी की पहचान होने के बाद उसकी तलाश शुरू हुई। उत्तर पूर्वी जिले के कई निजी और सरकारी अस्पतालों में पुलिस ने दो दिन तक संदिग्ध घायल की तलाश की। अंतत: उसे उत्तर पूर्वी-शाहदार जिले में स्थित एक सरकारी अस्पताल में इलाज कराते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली पुलिस अब उसके खिलाफ देशद्रोह, सरकारी कामकाज में बाधा डालने, दंगा भड़काने, निर्दोष लोगों की हत्या की कोशिश करने जैसी गंभीर धाराओं के तहत आपराधिक मामला चलाने की तैयारी में जुटी है। हालांकि मंगलवार को हुई हिंसा के मामले में दर्ज तीन अलग-अलग एफआईआर में भी इसका नाम शामिल किया जाना है।”

    शनिवार को दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में तैनात डीसीपी स्तर के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “रहीस से अब तक हुई पूछताछ में कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। हम लोग इसका भी पता लगा चुके हैं कि पेट्रोल बम बनाना रहीस ने किससे कब और कहां सीखा था। हालांकि उस शख्स तक हम अभी नहीं पहुंच सके हैं। तलाश जारी है। रहीस ने अपने कुछ अन्य साथियों के नाम भी बताए हैं, जिनमें से दो पुलिस को मिल गए हैं। बाकी अन्य 5-6 की तलाश जारी है।”

    इसी अधिकारी ने आईएएनएस से बातचीत में पुष्टि की है, “वायरल वीडियो सही पाया गया है। वीडियो मंगलवार दोपहर बाद सीलमपुर जाफराबाद में हुए दंगे की घटना के दौरान का ही है। फिर भी कानूनी रूप से सही साबित करने के लिए वायरल वीडियो को फॉरेंसिक लैब में भेजा गया है। ताकि अदालत में कहीं आरोपियों के खिलाफ पुलिस का पड़ताली पक्ष कमजोर साबित न हो जाए।”

    दरियागंज हिंसा में 10 लोग गिरफ्तार

    दिल्ली पुलिस ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विरोध के दौरान शुक्रवार को दरियागंज में हुई हिंसा के सिलसिले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

    दरियागंज दंगा : भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर दिल्ली में गिरफ्तार

    राष्ट्रीय राजधानी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ के लिए पुलिस ने शनिवार को भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने के लिए बीस अन्य उपद्रवियों को भी गिरफ्तार किया गया था।

    एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, “हमने आगजनी, तोड़फोड़ और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद समेत 21 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। आजाद भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।”
    पुलिस ने सीलमपुर में हिंसा के लिए पांच और दिल्ली गेट के पास पुरानी दिल्ली से 16 लोगों को गिरफ्तार किया है।

    भीम आर्मी का विरोध शुक्रवार की नमाज के बाद दोपहर एक बजे के बाद शुरू हुआ था। जामा मस्जिद में चल रहे विरोध प्रदर्शन में आजाद ने भी हिस्सा लिया था। हालांकि जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश की, तो वह अपने समर्थकों के बीच ओझल हो गए। इसके बाद उनका और पुलिस का आपस में लुका-छिपी का खेल चलता रहा। अब पुलिस ने आखिरकार आजाद को गिरफ्तार कर लिया है।

    शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए भीम आर्मी प्रमुख ने कहा था, “पुलिस सुबह से हमला कर रही है। हमने उन पर हमला नहीं किया है। मेरे पास यह साबित करने के लिए सबूत है कि आरएसएस ने हमारे खिलाफ इस हमले की योजना बनाई है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जारी रख रहे हैं।”

    पुलिस ने कहा कि आजाद भीड़ को उकसा रहे हैं और वह गैरकानूनी तरीके से सभाएं कर रहे हैं, और भीड़ बाद में आगजनी और तोड़फोड़ में लिप्त हो जाती है।

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